(ऋषिकेश पाण्डेय)
मऊ।उत्तर प्रदेश पुलिस अपराध नियंत्रण के लिए खून-पसीने अक्सर बहाती रहती है।लेकिन,सिर्फ अपराध नियंत्रण और अपराधियों के आतंक से बचने के लिए ही नहीं अब तो लोग पुलिस से खून लेने के लिए भी फोन करने लगे हैं।वो भी पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को।इसका जीता-जागता उदाहरण आज तब देखने को मिला,जब आजमगढ़ के डीआईजी सुबाषचंद्र दुबे को मऊ के एक मुस्लिम युवक ने अपने दुधमुहे बच्चे की जान बचाने के लिए ब्लड की आवश्यकता जताई।सीधे-साधे व्यक्ति की इस अपील को डीआईजी के दिल ने न सिर्फ़ स्वीकार किया।बल्कि एसपी मऊ सुशील घुले को ब्लड मुहैया कराने के लिए निर्देशित कर दिया।डीआईजी के निर्देशानुपालन में एसपी सुशील घुले ने अपने नाम के मुताबिक ही इस मिशन में जुटकर ब्लड मुहैया कराकर न सिर्फ़ बच्चे की जान बचाई।बल्कि पुलिस के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने का काम कर दिया कि पुलिस दुधमुंहे की जान बचाने के लिए अपने लहू का कतरा-कतरा दे सकती है।बताया जाता है कि सुबाष चन्द्र दुबे पुलिस उपमहानिरीक्षक आजमगढ़ परिक्षेत्र आजमगढ़ को रिजवान नामक एक व्यक्ति ने अपने 03 दिवसीय बच्चे को अर्जेंट “ओ” निगेटिव ब्लड की आवश्यकता होना बताया तथा कहीं पर भी ओ निगेटिव ब्लड न उपलब्ध होने के कारण मदद मांगी।जिस पर पुलिस उपमहानिरीक्षक आजमगढ़ द्वारा उक्त व्यक्ति की मदद करने हेतु एसपी मऊ को बताया गया।जिस पर एसपी मऊ द्वारा पुलिस लाईन मऊ से तीन आरक्षियों को चिन्हित किया गया जिनका ब्लड ग्रुप “ओ” निगेटिव था, उन आरक्षियों को तत्काल सम्बन्धित अस्पताल भेजा गया जहां पर आरक्षी अरुण कुमार राय द्वारा 03 दिवसीय नवजात के लिये रक्तदान किया गया।