- हालांकि देश में कोरोना की रफ्तार थमती हुई दिख रही है लेकिन दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में अब भी कोरोना चुनौती है. आंकड़ों के मुताबिक 734 में 258 ऐसे जिले हैं जहां अब भी कोरोना की पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से कहीं अधिक है. उत्तरी राज्यों ने कोरोना को बहुत हद तक नियंत्रित कर लिया है लेकिन दक्षिण और उत्तर-पूर्वी राज्यों में कोरोना अब भी चुनौती बना हुआ है.
देश में कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल और मई में उफान पर थी. मई के आखिर में इसकी रफ्तार में थोड़ी सी कमी आनी शुरू हुई और जून में लगभग थमती हुई नजर आ रही है लेकिन अब भी देश के 35 प्रतिशत जिले ऐसे हैं जहां कोरोना की रफ्तार तेजी से घट नहीं रही है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ministry of health and family welfare द्वारा 5 जून और 11 जून को जिलावार जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक 734 में 258 ऐसे जिले हैं जहां अब भी कोरोना की पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से कहीं अधिक है.
पॉजिटिविटी रेट का मतलब है कि जितने सैंपल की जांच की गई है उनमें प्रति सौ सैंपल में कितने पॉजिटव की संख्या है. यह आंकड़ा जिलावार वायरस संक्रमण से संबंधित है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद Indian Council of Medical Research (ICMR) के मुताबिक किसी भी जिले में लॉकडाउन को खत्म करने के लिए यह जरूरी है कि वहां कम से कम एक सप्ताह तक संक्रमण की दर में 5 प्रतिशत से अधिक का इजाफा न हो. देश के 258 जिले इस कसौटी पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं. यही वजह है कि देश के कई जिलों में अब भी लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं.
143 जिलों में 10 प्रतिशत से ज्यादा संक्रमण
जिलावार आंकड़ों के मुताबिक 734 जिलों में से 143 में संक्रमण की दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है जबकि 115 जिलों में संक्रमण की दर 5 प्रतिशत और 10 प्रतिशत है. देश के अधिकांश जिलों यानी 476 जिलों में कोरोना संक्रमण की दर 5 प्रतिशत से कम है. यही कारण है कि देश के अधिकांश भागों में लॉकडाउन को लगभग पूरी तरह हटा दिया गया है. इस डाटा के मुताबिक देश के 20 प्रतिशत जिले में हाई पॉजिटिविटी रेट है. यानी 141 जिले अब भी कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हैं. इनमें से 51 जिले दक्षिणी राज्यों में स्थित है जबकि 49 जिले आठ उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थित है. इसका अर्थ हुआ कि उत्तरी राज्यों ने कोरोना को बहुत हद तक नियंत्रित कर लिया है लेकिन इन दो क्षेत्रों में कोरोना अब भी चुनौती बना हुआ है.