जनजातीय नायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के प्रेरणा स्त्रोत हैं। उन्होंने वर्तमान सरकार की ओर से पिछले साल लिए गए निर्णय और 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाए जाने का स्वागत किया। ध्यान रहे कि मुर्मु पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं। वह राजग की उम्मीदवार थीं और विपक्ष से यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा गया था। पिछले महीने ही राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं मुर्मु का यह देश के नाम पहला संबोधन था।
छोटे संबोधन में उन्होंने महात्मा गांधी की सोच का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के लोकतंत्र में भारतीयता का पुट है। इसीलिए जब हम आजादी का जश्न मनाते हैं तो वस्तुत: भारतीयता का उत्सव मनाते हैं जहां विविधताओं में समानता है। उन्होंने अपील की देशवासी अपने कर्तव्यों को पहचाने और एक भारत श्रेष्ठ भारत को मजबूत करने में जुटें। संबोधन की शुरूआत में ही उन्होंने परोक्ष रूप से विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर छिड़े वाकयुद्ध को लेकर भी सचेत कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दिवस का उद्देश्य सामाजिक सदभाव, मानव सशक्तिकरण और एकता को बढ़ावा देना है।
देश की समृद्धि का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति विशेषरूप से कोविड काल के दौरान भारत के प्रयास, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदम, गरीबों के लिए आवास, हर घर जल जैसी योजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं कम हो रही हैं। इसका श्रेय सरकार और नीति निर्देशकों के साथ साथ किसानों, मजदूरों और उद्यमियों को भी जाता है। डिजिटल इंडिया और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मकसद वस्तुत: देश को अगली औद्योगिक क्रांति के लिए तैयार करना है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने खासतौर से महिलाओं में जगे आत्मविश्वास का उल्लेख किया और कहा कि अब देश में स्त्री-पुरुष के आधार पर असमानता कम हो रही है। महिलाएं अनेक रूढि़यों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। ध्यान रहे कि चुनाव आयोग के आंकड़े भी बताते हैं कि चुनावी प्रक्रिया में महिलाओं का उत्साह पुरुषों से ज्यादा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसका उल्लेख किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि 75 वर्ष की यात्रा में हर किसी का योगदान है। लेकिन आगे की 25 वर्ष की यात्रा को सफल बनाने और स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के भारत को मूर्त रूप देने की जिम्मेदारी देश के युवाओं पर है। उन्हें ही कल का भारत गढ़ना है।