आजमगढ़। शहर से सटे पठखौली गांव में ओमकारेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रही श्री शतचंडी महायज्ञ एवम श्रीराम कथा महोत्सव के चौथे दिन भगवान के जन्म का क्या कारण था, इस पर चर्चा की गई। कथावाचक सर्वेश जी महाराज ने रामचरित मानस की चौपाई का उदाहरण देते हुए कहा कि, जब-जब होय धर्म के हानि, बाढ़े असुर अधम अभिमानी, तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा, हरहि सदा भव सज्जन पीरा। अर्थात जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ता है, तब अधिकांश मनुष्यों के अन्दर से धर्म का लोप हो जाता है, भगवान के भक्त सताए जाते हैं। तब-तब भगवान अलग-अलग रूपों में अवतार लेकर आसुरी शक्तियों का विनाश करते हैं और धर्म की स्थापना कर स्वयं स्वधाम चले जाते हैं, यही प्रभु की लीला है। कथावाचक सर्वेश जी महाराज ने कहा कि भगवान राम का भी जन्म इसी प्रयोजन को लेकर हुआ था। उस समय भी आसुरी शक्तियों का प्रभाव धरती पर काफी बढ़ गया था। भगवान श्रीराम ने धरती पर जन्म लेकर सारी आसुरी शक्तियों का वध किया और धर्म की स्थापना की। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण के रूप में वह फिर तब अवतार लिये, जब धरती पर आसुरी शक्तियों का फिर से प्रभाव बढ़ा। उन्होंने सारी आसुरी शक्तियों का वध किया और धर्म का राज्य स्थापित हुआ। उन्होंने कहा कि यह सच मानिये कि जब भी आसुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ेगा, तब श्री हरि विष्णु किसी न किसी रूप में धरती पर अवतरित होंगे। कथा के दौरान मुख्य यजमान प्रमोद पाठक, जवाहर पाठक, पं0 विनीत पाठक, शिवशम्भू पाठक, रजनीश पाठक सहित हजारों भक्तगण मौजूद रहे।
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