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धर्मशाला में तिब्बती नववर्ष की धूम, निर्वासित लोगों ने मनाया ‘लोसार’ त्योहार


निर्वासित तिब्बतियों ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती नव वर्ष ‘लोसार’ मनाया और इयर ऑफ द ऑक्स 2148 का स्वागत किया. कोरोना वायरस महामारी के कारण केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने प्रतीकात्मक रूप से उत्सव मनाया, जो धर्मशाला में तिब्बती सरकार के निर्वासन कार्यालय में प्रार्थना के साथ शुरू हुआ.

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष लोबसांग सांगे, कैबिनेट मंत्री, स्पीकर और तिब्बती संसद के निर्वासन उपाध्यक्ष ने भी उत्सव में भाग लिया. लोसार नए साल की शुरुआत के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.

क्या है चीन और दलाई लामा के बीच विवाद

तिब्बत और चीन के बीच काफी समय से चुनाव चल रहा है. इसकी वजह चीन का तिब्बत को अपना हिस्सा मानना है. इस पर बात करने के लिए चीन ने दलाई लामा को चीन आकर बातची करने के लिए कहा. लेकिन चीन की शर्तों के चलते दलाई लामा वहां नहीं गए. इस पर चीन भड़क गया और साल 1959 में आजाद तिब्बत पर हमला कर दिया. इससे पहले भी चीनी सेना और तिब्बत के बीच लड़ाई चल रही थी. जानकारी के अनुसार इस लड़ाई में तिब्बत के 87 हजार लोग मारे गए थे.

इसके बाद दलाई लामा ने असम के रास्ते आकर भारत में शरण ली. यहां से दलाई लामा ने अपने देश की आजादी के लिए मुहिम छेड़ी. चीन दलाई लामा को ब्लैकलिस्ट कर चुका है. भारत और चीन के बीच दुश्मनी की एक वजह दलाई लामा भी हैं.

तेनजिन ग्यात्सो 14वें दलाई लामा हैं, जो अभी हिमाचल में रहते हैं. तेनजिन ग्योत्सो को साल 1937 में उत्तराधिकारी चुना गया था. ग्योत्सो ने साल 1950 में अपनी जिम्मेदारी संभाली, उस समय उनकी उम्र 15 साल थी. तिब्बत में दलाई लामा के सबसे प्रमुख आध्यात्मिक गुरु माना जाता है. ये बुद्ध के जीवन दर्शन पर चलते हैं. वहीं पंचेन लामा दलाई लामा के बराबर का व्यक्ति होता है इस पद के लिए चुनाव किया जाता है.