नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही टेंशन के बीच दोनों देशों के अधिकारियों के बीच दो साल बाद कल से दो दिवसीय अहम बैठक होने जा रही है। भारत और पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त 23-24 मार्च को दिल्ली में बैठक करने जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के अधिकारी आज वाघा अटारी के रास्ते दिल्ली आएंगे। सिंधु जल आयुक्त मेहर अली शाह पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि संबंधित विभागों के अधिकारी उनके साथ होंगे।
दरअसल सिंधु पानी समझौते के तहत हर साल यह बैठक होती है। यह बैठक सिंधु जल संधि 1960 के एक प्रावधान का हिस्सा है, जिसके तहत स्थायी सिंधु आयोग की वर्ष में कम से कम एक बार बैठक जरूरी है। यह 1960 संधि के तहत आने वाले पानी से संबंधित मुद्दों पर अनुसूचित चर्चा के साथ आयोग का 116वां सत्र होगा। यह बैठक एक बार भारत और दूसरी बार पाकिस्तान में होती है। लेकिन पिछले दो साल से यह बैठक नहीं हुई है। सिंधु जल समझौते के प्रावधानों के अनुसार पूर्वी नदियों- ब्यास, रावी और सतलुज के जल पर भारत का, तथा पश्चिमी नदियों – सिंधु, चिनाब और झेलम के जल पर पाकिस्तान का अधिकार है।
यह बैठक कई मायनों में खास है। दरअसल, जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के तहत विशेष प्रावधानों को रद्द करने के बाद दोनों देशों के आयुक्तों के बीच यह पहली बैठक भी होगी। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू और कश्मीर में बदला गया था।
दरअसल आर्टिकल 370 हटने के बाद भारत ने लद्दाख में कुछ हाइड्रोपावर प्लांट्स को मंजूरी दी है। इनमें लेह के लिए दुर्बुक श्योक (19 मेगावॉट),शांकू (18.5 मेगावॉट),निमू चिलिंग (24 मेगावॉट),रोंगडू (12 मेगावॉट), रतन नाग (10.5 मेगावॉट) वहीं करगिल के लिए मंगदुम संग्रा (19 मेगावॉट), करगिल हुंदेरमन (25 मेगावॉट) और तमाशा (12 मेगावॉट) परियोजनाएं शामिल हैं।