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ममता बोली इस शख्स के कारण ‘ मैं हूं सबसे बड़ा गधा’, चलाता है 5000 करोड़ का साम्राज्य


पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद को गधा बताते हुए कहा कि उन्‍हें गद्दार (सुवेंदु अधिकारी) के बारे में समय रहते सही जानकारी ही नहीं मिल सकी। उन्होंने बिना नाम लिए “प्रभावशाली” अधकारी परिवार के “असली चेहरे” को नहीं पहचानने के लिए खुद को दोषी ठहराया।

बनर्जी ने पुरबिया मेदिनीपुर जिले के अधकारी परिवार के खिलाफ एक चुनावी रैली में कहा कि उन्होंने यहां तक अफवाह सुनी थी कि “उन्होंने” एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया है। बनर्जी के प्रतिद्वंद्वी सुवेन्दु को अधिकारी परिवार का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य माना जाता है। अधिकारी विधानसभा चुनावों के लिए नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र के टीएमसी नेता के खिलाफ खड़े हुए हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के लिए पिछले दिसंबर में टीएमसी छोड़ दिया था। टीएमसी सांसद और सुवेंदु के पिता शिशिर अधकारी भी भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए हैं।

बनर्जी ने रविवार को पुरवा मेदिनीपुर जिले में तीन जनसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “मैं कहती हूं कि मैं एक ‘बड़ा गधा’ हूं। (अमी एकटा बोरो गधा) उन्हें पहचानने में असफल रही, मुझे इस तरह के एक साधारण व्यक्ति होने के लिए खेद है। मुझे नहीं पता (इसके बारे में), लेकिन लोग कहते हैं की उन्होंने 5000 करोड़ का एक विशाल ” साम्राज्य ” बनाया है और वे वोट खरीदने के लिए पैसे का उपयोग करेंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद वह आरोपों की जांच करवाएंगी।

बता दें कि जिले में काफी राजनीतिक दबदबा रखने वाले अधकारी परिवार के अधिकांश सदस्य या तो भाजपा में शामिल हो गए हैं या भगवा पार्टी में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने “मीर जाफ़र” (गद्दार) के साथ “परिवार” की तुलना की और कहा कि क्षेत्र के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे और चुनावों में जवाब देंगे। बता दें कि बंगाल के अंतिम स्वतंत्र नवाब सिराज-उद-दौला के सैन्य जनरल मीर जाफ़र को 1757 में प्लासी की लड़ाई के दौरान घिरे नवाब को धोखा देने के लिए देशद्रोही माना जाता है जिसने भारत में ब्रिटिश शासन का मार्ग प्रशस्त किया।

तीनों बैठकों में टीएमसी नेता ने कहा कि अधिकारी परिवार इस जिले को जमींदार की तरह कंट्रोल करता है। उन्होंने कहा कि यहां तक की उन्हें भी इस क्षेत्र में बैठक करने नहीं दिया जाता था “अब मैं स्वतंत्र हूं और जिले में कहीं भी जा सकती हूं।”