नई दिल्ली, राज्यसभा के कामकाज में 1995 के बाद से लगातार कमी आ रही थी, लेकिन सभापति एम वेंकैया नायडू के कार्यकाल के पिछले तीन वर्षों के दौरान इसमें एक उल्लेखनीय सुधार देखा गया। उच्च सदन द्वारा जारी एक प्रकाशन रिपोर्ट में यह सामने आया है।
‘राज्य सभा 2017-22 : एक अवलोकन’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में 1978 के बाद के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, जब सदन ने ओवरटाइम किया और कामकाज 100 प्रतिशत से अधिक रहा। हालांकि, समय के साथ विरोध और रुकावटें लगातार बढ़ती गईं और कामकाज प्रभावित हुई।
1978 के बाद अगले 17 वर्षों में राज्यसभा का वार्षिक कामकाज 100 प्रतिशत से अधिक रहा। लेकिन अगले 27 वषरें के दौरान 1998 और 2009 में केवल दो बार ही ऐसा हुआ। प्रकाशन के अनुसार 2018 के दौरान सबसे कम वार्षिक कामकाज हुआ । यह सिर्फ 40 प्रतिशत था।
उच्च सदन में कामकाज की दर 95 प्रतिशत रहीं
अन्य वर्षों में 1995-97 के दौरान उच्च सदन में कामकाज की दर 95 प्रतिशत रहीं। 1998-2003 के दौरान यह आंकड़ा 90 प्रतिशत पर रहा। 2004-13 के दौरान राज्यसभा में कामकाज की दर 80 प्रतिशत से अधिक रही और यह 2019 में 248वें सत्र तक जारी रही।
नायडू 2017 में उप राष्ट्रपति बने और प्रकाशन के अनुसार उन्होंने राज्यसभा के जिन शुरुआती सत्रों की अध्यक्षता की, उनमें कामकाज में गिरावट देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार नायडू की अध्यक्षता में पहले पांच पूर्ण सत्रों (244 से 248 वें) के दौरान उच्च सदन में केवल 42.77 प्रतिशत कामकाज हुआ। जनवरी-फरवरी, 2019 के दौरान आयोजित 248वें सत्र में केवल 6.80 प्रतिशत कामकाज हुआ।
राज्य सभा में कामकाज में तेजी आई
अगले आठ सत्रों (249वें से 256वें) के लिए राज्य सभा में कामकाज में तेजी आई और यह 82.34 प्रतिशत पर पहुंच गया। जून-अगस्त 2019 के बजट सत्र के दौरान 35 बैठकों में सदन ने निर्धारित समय में 105 प्रतिशत कामकाज किया। नायडू के कार्यकाल के दौरान इस तरह के ज्यादा कामकाज का यह पहला सत्र था। इसके बाद चार और सत्र 100 या इससे अधिक प्रतिशत के कामकाज वाले रहे।
नायडू की अध्यक्षता में 244वें सत्र से लेकर अगले 13 सत्रों के दौरान राज्यसभा ने कुल बैठकों के दो-तिहाई (261 बैठकों में से 173) में 82.34 प्रतिशत कामकाज किया। यानी इसे यूं कहा जाए कि उच्च सदन के कामकाज में गिरावट की बजाय तेजी दर्ज की गई।
नायडू ने कीं कई अच्छी पहल
प्रकाशन में नायडू के कार्यकाल के दौरान की गई कई पहलों को भी सूचीबद्ध किया गया है। इसमें विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समितियों के कामकाज की समीक्षा करने का निर्णय, 1978 से सदन के कामकाज का प्रासंगिक विश्लेषण, सदन के नियमों की समीक्षा की शुरुआत, सदस्यों की उपस्थिति एवं भागीदारी की समीक्षा शामिल है। अन्य पहलों में सदन के कार्य के विभिन्न मदों का विश्लेषण, समितियों की प्रत्येक बैठक में अवधि और उपस्थिति की मात्रा का निर्धारण, सदन की कार्यवाही में भारतीय भाषाओं का उपयोग शामिल है। सभापति नायडू के कार्यकाल के दौरान, राज्यसभा ने पिछले सत्र तक 951 घंटे से अधिक समय तक कार्य किया है। कोविड-19 महामारी की वजह से सदन को 26 बैठकें गंवानी पड़ी हैं। पिछले पांच वषरें के दौरान राज्य सभा की आठ विभाग संबंधित संसदीय स्थायी समितियों ने इस वर्ष जून तक 558 बैठकें की हैं और 369 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं।
नायडू द्वारा उनके कामकाज की नियमित समीक्षा और निगरानी के कारण बैठकों की औसत अवधि में काफी सुधार हुआ है और प्रति बैठक में औसत उपस्थिति 45 प्रतिशत से अधिक रही।