एनएच-20 के बीच में आ रहे लगभग 2600 बड़े वृक्षों को हटाकर नये स्थान पर है लगाना
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- डीएफओ ने कहा पर्यावरण के लिए बड़े पेड़ों का संरक्षण करने की है योजना
- पहले फेज में गिरियक-बिहारशरीफ के बीच सड़क से हटाकर किनारे में लगाया जाने लगा है पेड़
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बिहारशरीफ (आससे)। रजौली-बख्तियारपुर एनएच-20 के फोरलेनिंग में ढेर सारे वृक्षों को काटा जा रहा है या काटा जायेगा, लेकिन वन विभाग ने नालंदा जिले में पड़ने वाले एनएच 20 के किनारे लगे लगभग 2600 पेड़ों को पुर्नस्थापन करने की योजना तैयार की है, जिस पर काम शुरू हो गया है। पहले फेज में वृक्षों को चिन्हित कर उसे उखाड़ने और फिर पुर्नस्थापन करने का काम जोर-शोर से चल रहा है। पहले फेज में 1200 बड़े वृक्षों को पुर्नस्थापित किया जाना है। जबकि दूसरे फेज में लगभग 1400 वृक्षों को पुर्नस्थापित करने की योजना है।
पहले फेज में नालंदा जिला की सीमा गिरियक से लेकर बिहारशरीफ के बीच की दूरी में पड़ने वाले वृक्षों को उखाड़कर पुर्नस्थापित करना है। जबकि दूसरे फेज में राजगीर मोड़ से लेकर हरनौत से आगे नालंदा की सीमा तक वृक्षों को पुर्नस्थापित किया जाना है। सड़कों में काम करने वाली संबंधित कार्यान्वयन एजेंसी को ही वृक्षों का पुर्नस्थापन का दायित्व सौंपा गया है और कार्य एजेंसी कुशल नर्सरी को खोजकर उसके द्वारा वृक्षों का पुर्नस्थापन करवा रही है। अभी गिरियक बाजार में वृक्षों को उखाड़ा जा रहा है।
इसके लिए विशेष प्रकार का मशीन लगाया गया है। इसके तहत पहले वृक्षों के किनारे की मिट्टी को जेसीबी से निकाला जाता है और फिर उसमें पर्याप्त पानी डालकर मिट्टी को ढीला किया जाता है। उसके बाद विशेष प्रकार का मशीन से वृक्षों को जमीन के अंदर पांच-छः फीट नीचे से पकड़कर खींच लिया जाता है। इसके बाद क्रेन के माध्यम से वृक्षों को उठाकर उसके जड़ों को ट्रिमिंग किया जाता है। जिसके बाद क्रेन से वृक्ष को उस स्थान पर ले जाया जाता है जहां इसे पुर्नस्थापित किया जाना है।
वहां पहले से गड्ढा खोद कर उसमें रूटेक्स पाउडर आदि डालकर तैयार रखा जाता है, जिसमें पेड़ को लगा दिया जाता है और मिट्टी भरकर सिंचाई की जाती है। बताते चले कि वृक्षों को उखाड़ने के पहले उसके उपर के एक भाग को काटकर हटा लिया जाता है, जिसके बाद उसे उखाड़ा जाता है। अब तो गिरियक और पावापुरी के बीच पुर्नस्थापित किये गये कई बड़े-बड़े पेड़ में पत्तियां भी निकलनी शुरू हो गयी है।
नालंदा के जिला वन पदाधिकारी डॉ. के. नेषामणी ने इस संदर्भ में बताया कि सरकार ने पॉलीसी तय की है कि अब सड़क के चौड़ीकरण और फोरलेनिंग में जो भी पेड़ बीच में आयेगा उसे पुर्नस्थापित किया जाना है। इसके लिए वृक्षों का उम्र को देखा जाता है। जो पेड़ पुराने हो गये है उन्हें चिन्हित कर काट कर हटाया जाता है, लेकिन जो पेड़ कम आयु के होते है और जिन्हें बचाया जा सका है वैसे पेड़ों को अब पुर्नस्थापित किया जाना है।
डीएफओ ने बताया कि नालंदा जिला में इसकी शुरुआत एनएच 20 से की गयी है। पहले फेज में गिरियक से राजगीर मोड़ तक पेड़ का पुर्नस्थापन चल रहा है। 1200 से अधिक पेड़ को पुर्नस्थापित करना है। वन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में पुर्नस्थापन का कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि दूसरे फेज में राजगीर मोड़ से बख्तियारपुर से पहले नालंदा की सीमा तक पेड़ों का पुर्नस्थापन किया जाना है और लगभग 1400 पेड़ इस क्षेत्र में पुर्नस्थापित होंगे।
निश्चित तौर पर वन विभाग की यह कार्रवाई ना केवल सराहनीय है बल्कि एक मिसाल भी है। वन विभाग की सोच है कि पेड़ को बड़ा होने में समय लगता है, ऐसे में बड़े पेड़ों को पुर्नस्थापित कर वायुमंडल की आवश्यकताओं को पहले पूरा किया जा सकता है।