उत्तर प्रदेश पटना

नालंदा सिविल सर्जन का स्थानांतरण का खेल-जिले के 46 एएनएम का किया स्थानांतरण लेकिन डीएम की फटकार के बाद रद्द किया आदेश


इसी माह सेवानिवृत्त होने वाले सिविल सर्जन ने स्थानांतरण में की थी बड़ी डील 

बिहारशरीफ (आससे)। महज कुछ दिन बाद सेवानिवृत्त होने वाले नालंदा के सिविल सर्जन आदतन फिर स्थानांतरण का एक बड़ा बम फोड़ डाला। लेकिन जब मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में पहुंचा और जिलाधिकारी ने सख्ती बरती तो आनन-फानन में स्थानांतरण सूची को रद्द किया गया। पदस्थापना काल से ही स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति के लिए चर्चित रहे नालंदा के सिविल सर्जन नौकरी के अंतिम दिनों में भी पैसे की लालच में अवैध तरीके से स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति का खेल खेल रहे हैं।

सिविल सर्जन ने बैक डेट यानी 30 दिसंबर 2020 को अपने ज्ञापांक 4160 के जरिये जिले के विभिन्न प्राथमिक एवं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पदस्थापित 43 एएनएम का स्थानांतरण कर दी। आदेश में लिखा कि प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग, बिहार, पटना एवं कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति पटना द्वारा हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर का सफल संचालन हेतु दिये गये निर्देश के आलोक में स्थानीय कार्य व्यवस्था के तहत अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में क्रियाशील करने हेतु अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में समायोजित करने हेतु एएनएम को पदस्थापित किया जाता है। जबकि प्रधान सचिव ने ऐसा कोई आदेश दिया हीं नहीं था।

उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था कर इसे चालू करने जरूर कहा था, जिसे सिविल सर्जन ने नौकरी के अंतिम दिनों में कमाई का जरिया बना लिया। चर्चा तो यह है कि एक-एक स्थानांतरण में मोटी-मोटी रकम ली गयी और एक-दो नहीं 43 लोगों को स्थानांतरित कर दिया गया। इसी तारीख को पत्रंक 4161 के जरिये तीन और एएनएम को स्थानांतरित किया गया, जिसमें कहा गया कि नालंदा सांसद के अनुशंसा को जिला पदाधिकारी नालंदा के द्वारा प्रेषित पत्र के आलोक में संबंधित कर्मचारी के अभ्यावेदन पर सम्यक विचारोपरांत उन्हें समायोजित किया गया। जबकि स्थापना समिति की बैठक तक नहीं हुई।

मामला जब जिलाधिकारी के संज्ञान में पहुंचा तो जिला पदाधिकारी योगेंद्र सिंह ने सिविल सर्जन को कड़ी फटकार लगायी। बैक डेट से निकाली गयी स्थानांतरण सूची को आनन-फानन में सिविल सर्जन ने रद्द किया। ज्ञापांक 44, दिनांक 06 जनवरी 2021 को निर्गत आदेश में पूर्व के ज्ञापांक 4160 एवं 4161 को निरस्त किया।

नालंदा सिविल सर्जन द्वारा इस तरह की अवैध स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति किये जाने का यह कोई पहला मामला नहीं। पहले भी कई मामलों में पकड़े जाने पर डीएम द्वारा फटकार लगाये जाने के बाद आदेश रद्द करते रहे है। बताते चले कि सदर अस्पताल के कैंटीन को अवैध तरीके से बंदोबस्त करने के मामले में हुई जांच में उन्हें दोषी पाया गया था और जिलाधिकारी ने उनपर कार्रवाई के लिए विभाग के प्रधान सचिव को भी लिखा है, जिसकी जांच चल रही है। बावजूद इसके उनकी आदतों में सुधार नहीं हो रहा है।