आज़मगढ़ वाराणसी

निजीकरणके खिलाफ आंदोलित हुए बैंककर्मी


किया प्रदर्शन, कहा: बैंकोंका अस्तित्व समाप्त करनेपर तुली हुई है सरकार

आजमगढ़। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के देशव्यापी प्रदर्शन के क्रम में जनपद इकाई के पदाधिकारियों ने रैदोपुर स्थित बैंक ऑफ  इंडिया शाखा के समक्ष सोमवार की देर शाम प्रदर्शन किया। इस दौरान यूनियन के पदाधिकारियों ने केन्द्र सरकार द्वारा बैंकों का किये जा रहे विलय और निजीकरण का विरोध किया। बैंक ऑफ  इंडिया स्टॉफ  यूनियन के यूपी व उत्तराखण्ड के सह महामंत्री उमाकांत यादव ने कहाकि बैंकों का विलय और निजीकरण करके सरकार बैंकों का अस्तित्व खत्म करना चाह रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंक के निजीकरण की घोषणा की गयी है। यह बैंक कर्मचारियों के साथ साथ उपभोक्ताओं के साथ भी अन्याय हो रहा है। कहाकि मीडिया के माध्यम से पता चला है कि सरकार ने चार बैंकों की एक सूची बनाई है। अगर यह सत्य है तो पूरे जनमानस से खुलेआम झूठ बोला जा रहा है और संसद की गरिमा को गिराया जा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देश के पिछड़े और वंचित लोगों के लिए आर्थिक विकास का पहिया बन रहे है तो सरकार निजीकरण करके आखिर क्या सिद्ध करना चाहती है।

 विवेक विक्रम ने कहाकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक नोटबंदी के दौरान जनधन खाता खोलकर और मुद्रा ऋण देकर देश के गरीबों और पिछड़ों के लिए एक नई दिशा देने का काम किए है। इसके अलावा बैंक कर्मचारी कोरोना जैसी महामारी के समय भी अपने जान की परवाह किए बगैर जनता की सेवा की। विषम परिस्थितियों में कार्य करने वाले बैंक, बैंक कर्मचारियों को केन्द्र सरकार प्रोत्साहित करने की बजाय बैंकों का निजीकरण कर रही है। कर्मचारियों के परिश्रम का खामियाजा निजीकरण की कीमत देकर चुकानी पड़ रही है। उन्होने कहाकि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको को सिर्फ  लाभ कमाने का जरिया बनाना चाहती है। यह 1969 में किए गए बैंको के राष्ट्रीयकरण के बिल्कुल विपरीत है। बैंक के कर्मचारियों ने केन्द्र सरकार के निजीकरण की नीति का विरोध किया और कहाकि सरकार के इस नीति के खिलाफ कर्मचारी आगामी 15 16 मार्च को फिर प्रदर्शन करेंगे। इस अवसर पर शाखा प्रबन्धक राकेश कन्नौजिया, अरूण गुप्ता, उमाकांत यादव, हरेन्द्र यादव, कौशलेस आदि कर्मचारी मौजूद रहे।