- पटना, । बैंकों के निजीकरण (Privatization of Banks) के मुद्दे पर नई दिल्ली में बुधवार को एडिशनल चीफ लेबर कमिश्नर के समक्ष इंडियन बैंक एसोसिएशन और यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के बीच वार्ता विफल हो गई। इस वजह से बैंकों में 16 दिसंबर से दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू हो गई है। बैंकों को बंद कर सभी कर्मी व अधिकारी प्रदर्शन कर रहे हैं। आल इंडियन बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के वरीय उपाध्यक्ष डाक्टर कुमार अरविंद ने कहा है कि इस दौरान एटीएम में भी कैश नहीं डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कंपनी अधिनियम 1970 व 1980 के साथ ही बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 में संशोधन की घोषणा कर चुकी है। इससे बैंकों के निजीकरण की राह खुल जाएगी। बैंकों का निजीकरण किसी के हित में नहीं है।
बिहार में बंद रहेंगी 65 सौ शाखाएं
उन्होंने कहा कि बिहार में 6500 बैंक शाखाएं बंद रहेंगी जिससे 35 हजार करोड़ रुपये का लेनदेन बाधित होगा। बिहार में करीब 35 हजार बैंक कर्मचारी व अधिकारी हड़ताल में शामिल होंगे। 6608 एटीएम में कैश भी नहीं डाला जाएगा। आल इंडिया बैंक आफिसर्स कंफेडरेशन के महासचिव अजीत कुमार मिश्र ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से लोगों की गाढ़ी कमाई की सुरक्षा घट जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास ही लोगों का 70 प्रतिशत जमा है। आल इंडिया बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष जीएन लाल ने कहा कि 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और 43 ग्रामीण बैंक इस समय अपने कुल ऋण का 60 प्रतिशत प्राथमिकता वाले क्षेत्र को आवंटित करते हैं। निजीकरण के बाद किसानों व अन्य जरूरतमंदों को ऋण नहीं मिल सकेगा। नेशनल कंफेडरेशन आफ बैंक इम्पलाई के सहायक महासचिव हसन इमाम ने कहा कि निजीकरण के बाद बैंक संपन्न लोगों को ही सेवाएं देंगे, आम लोग बैंकिंग सेवा का लाभ नहीं ले पाएंगे।