वाराणसी। कैलाश मठ के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी रामचंद्र गिरी महाराज रविवार को ब्रह्मलीन हो गए। निरंजनी अखाड़े के 104 वर्षीय संत ने तीन साल से अन्न त्याग कर दिया था। शरीर कमजोर होने के कारण बेड पर थे और सिर्फ तरल पदार्थ ले रहे थे। सोमवार को दोपहर केदारघाट पर जलसमाधि दी गई। जल समाधि विधान उत्तराधिकारी महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरी महाराज ने पूरे किए।
स्वामी रामचंद्र का जन्म गुजरात के वडोदरा शहर में हुआ था। उन्होंने गुजरात पुलिस में भी सेवा प्रदान की। मन में भक्ति भाव प्रबल होने पर उन्होंने संन्यास ले लिया। मगध (बिहार) पहुंचे और वहां गंगा तट पर वट वृक्ष के नीचे 12 वर्षों तक तपस्या की। अपना जीवन भिक्षाटन करके जिया और लोगों को गीता का उपदेश देते रहे। वर्ष 1949 में काशी आ गए। उनकी संत सेवा भावना से प्रभावित होकर कैलाश मठ के तत्कालीन महामंडलेश्वर ने 1980 में आश्रम की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी।
षोडशी में शामिल होंगे देशभर के संत-महंत और महामंडलेश्ववर
उत्तराधिकारी महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरी ने बताया कि स्वामी रामचंद्र गिरी निरंजनी अखाड़े के सबसे वरिष्ठ महामंडलेश्वर थे। उनकी षोडशी पर 29 अप्रैल को भंडारा, श्रद्धांजलि समारोह व संत समागम आयोजित होगा। इसमें देश भर से संत-महंत, महामंडलेश्वर आएंगे।