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नीतीश कुमार: पांच बार चुनाव जीते, आठवीं बार मुख्‍यमंत्री बनेंगे! चार बार इस्‍तीफा देना पड़ा


पटना, । : बिहार की राजनीति देश को प्रभावित करती है। बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव हुआ है। इस बदलाव में भी एक स्थिरता है। स्‍थ‍िरता मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर है। नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं। यह अपने आप में एक रिकार्ड है। इस रिकार्ड के साथ और भी कई रिकार्ड और अनोखी चीजें जुड़ी हैं। केवल पांच चुनाव जीतकर ही नीतीश कुमार आठवीं बार सीएम बनने जा रहे हैं। दरअसल, 2010 के विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक हर बार नीतीश कुमार कार्यकाल के बीच ही इस्‍तीफा देते रहे हैं और दोबारा मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेते रहे हैं। ऐसा अब लगातार तीसरी बार होने की संभावना है। बतौर मुख्‍यमंत्री केवल दो चुनावों के बाद उन्‍होंने अपना गठबंधन सहयोगी नहीं बदला था। 

2014 में पहली बार भाजपा का साथ छोड़ा 

नीतीश कुमार ने पिछले 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपना गठबंधन साथी बदल लिया, हालांकि मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर वह लगातार काब‍िज रहे। 2010 के चुनाव तक नीतीश कुमार, भाजपा के सहयोगी रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार बनाए जाने के बाद उन्‍होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया। 2015 तक जदयू की सरकार राजद के बाहर से मिल रहे समर्थन की बदौलत चली। 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू की करारी हार के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्‍तीफा देकर सीएम की कुर्सी अपनी ही पार्टी के जीतन राम मांझी को सौंप दी। हालां‍क‍ि, एक साल के अंदर नीतीश कुमार ने फिर से मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली।

2015 में राजद-कांग्रेस के साथ तो 2020 में भाजपा के साथ लड़े चुनाव

2015 में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अपने इतिहास में पहली बार राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ी, जीती और सरकार बनाई। नीतीश कुमार फिर से मुख्‍यमंत्री बने। हालांक‍ि, जदयू और राजद का गठबंधन विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक नहीं चल पाई। नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्‍तीफा देकर फिर से भाजपा का समर्थन लेकर सरकार बनाई। 2020 का चुनाव नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ लड़ा। 2022 में इतिहास फिर से दोहराया गया। अब नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़कर राजद और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने जा रहे हैं।

लालू यादव की वजह से नहीं पूरी हुई थी नीतीश कुमार की आस

नीतीश कुमार वर्ष 2000 में पहली बार बिहार का मुख्‍यमंत्री बने। यह सरकार केवल सात दिनों तक ही चली। नीतीश कुमार विश्‍वास मत साब‍ित नहीं कर पाए। दूसरी बार 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार के सामने सीएम बनने का मौका था। लेकिन, तब लालू यादव के दबाव में तत्‍कालीन राज्‍यपाल बूटा सिंह की अनुशंसा पर बिहार में राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया गया। तब लालू यादव केंद्र सरकार में अहम किरदार थे। इसी साल छह महीने के अंतराल पर दोबारा चुनाव हुए और नीतीश कुमार को मुख्‍यमंत्री बनने का मौका मिला।

देख‍िए कब किसके सहयोग से नीतीश बने मुख्‍यमंत्री 

क्रम संख्‍या चुनाव का वर्ष पद ग्रहण पद त्‍याग गठबंधन किसके साथ
1 2000 3 मार्च 2000 10 मार्च 2000 जदयू और भाजपा
2 2005 24 नवंबर 2005 24 नवंबर 2010 भाजपा और जदयू
3 2010 25 नवंबर 2010 19 मई 2014 भाजपा और जदयू
4 2010 22 फरवरी 2015 19 नवंबर 2015 जदयू अकेले – राजद, कांग्रेस का बाहर से समर्थन
5 2015 20 नवंबर 2015 26 जुलाई 2017 जदयू, राजद, कांग्रेस
6 2015 27 जुलाई 2017 24 नवंबर 2020 जदयू, भाजपा
7 2020 25 नवंबर 2020 09 अगस्‍त 2022 जदयू, भाजपा