पटना

नीतीश कुमार मंत्रिमंडल से मुकेश सहनी बर्खास्त


नीतीश ने बरखास्तगी से संबंधित चिट्ठी गवर्नर को भेजा

पटना (आससे)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को मत्स्य पालन एवं पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। सरकार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। नीतीश कुमार ने कहा कि मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का फैसला बीजेपी के लिखित निवेदन के बाद किया गया। इसके बाद सहनी की बर्खास्तगी के संबंध में राज्यपाल को सिफारिश भेज दी गई है। गवर्नर को भेजी चिट्ठी में बताया गया है कि विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक प्रमुख सहनी अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा नहीं हैं।

बता दें कि मुकेश सहनी बिहार असेंबली का चुनाव हार गए थे। जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें विधान परिषद में भेजा और बाद में बिहार की नीतीश सरकार में मंत्री बनवाया। हालांकि इसके बाद वे बीजेपी के खिलाफ ही बागी हो गए थे और योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लडऩे के लिए यूपी में अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतार दिए थे। जिसके बाद से बीजेपी आलाकमान उनसे खफा चल रहा था। इससे पहले विकासशील इंसान पार्टी के तीन विधायक पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसके बाद मुकेश सहनी ने कहा था कि वे मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें तो उन्हें बर्खास्त कर सकते हैं।


काररवाई के लिए रहें तैयार : संजय जायसवाल

पटना (आससे)। मत्स्यजीवी मंत्री के खिलाफ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी कड़ा एक्शन लिया है। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि मछुआरा समाज के लोगों को उनके हक से वंचित करने की उनकी काररवाई की वे भर्तस्ना करते हैं। उन्होंने कहा कि मत्स्यजीवी आज्ञा को निरस्त करें नहीं तो काररवाई के लिए तैयार रहें। बीजेपी अध्यक्ष ने मत्स्यजीवी सोसायटी के मंत्रीगणों व निषाद समाज के लोगों की समस्याएं सुनीं। उनके समाधान में हर संभव सहयोग देने का भरोसा दिया। बैठक के बाद सोशल मीडिया पर मंत्री के कारणामों को उजागर करते हुए उन्होंने लिखा उन्होंने मत्स्यजीवी सोसायटी के मंत्री पद को समाप्त कर दिया और इसके बदले एक कार्यकारिणी का निर्माण कर दिया, जिसका प्रबंधन एक सरकारी पदाधिकारी को बना दिया गया। उन्होंने इसकी कड़ी भर्तस्ना की।

उन्होंने मत्स्य मंत्री से इस आज्ञा को निरस्त करने को कहा है। उन्होंने कहा आज्ञा निरस्त न हुई, तो उन पर कार्यवाही होगी। उन्होंने कहा कि मत्स्यजीवी समाज के लिए जितना नुकसान कैबिनेट मंत्री ने किया है, उतना नुकसान पहले कभी नहीं हुआ था। परंपरागत मत्स्यजीवी के मानदंड में ओपन आवेदन हो रहे हैं, जबकि मछुआरा को-ऑपरेटिव सोसायटी के सदस्य हमेशा परंपरागत मत्स्यजीवी समाज का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह से उनकी बात हुई। उन्होंने बताया कि पशुपालन एवं मत्स्यमंत्री को पांच बार पत्र भेज चुके हैं, परंपरागत मछुआरा समाज को परिभाषित करने को कहा, परन्तु आज तक इसका जवाब नहीं मिला है।


मुकेश सहनी का बिहार विधान परिषद सदस्य के रूप में कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त हो रहा है। ऐसे में मंत्री पद गंवाने के बाद वे आरजेडी में शामिल हो जाएंगे या खुद की पार्टी को आगे बढ़ाएंगे, यह सवाल अहम होने वाला है। बीजेपी ने ही उन्हें अपने एक सदस्य की ओर से खाली की गई सीट से निर्वाचित होने में मदद की थी। सहनी ने बीजेपी के इन दावों को खारिज कर दिया था कि 2020 के बिहार असेंबली चुनाव से पहले उन्हें इस शर्त पर राजग में जल्दबाजी में शामिल किया गया था कि वह 6  महीने के भीतर अपनी पार्टी का उसमें विलय कर देंगे।