भारत अब वित्तीय समावेशन के मामले में चीन से आगे है। देश में मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन 2020 में प्रति 1,000 वयस्कों पर 13,615 पर पहुंच गया है, जो 2015 में 183 था। 2020 में बैंक शाखाओं की संख्या प्रति एक लाख वयस्कों पर 14.7 तक पहुंच गई, जो 2015 में 13.6 थी। यह संख्या जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका से अधिक है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
Harvard University के मुताबिक नोटबंदी से कई तरह के उपाय हुए। इनमें काला धन पर अंकुश, नकली नोट पर नियंत्रण, आंतकी फंडिंग रुकना, नॉन फॉर्मल इकोनॉकी से फॉमल इकोनॉकी की ओर कदम और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना शामिल है। इसके साथ ही नोटबंदी के पांच साल पूरे होने पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च वित्तीय समावेशन/अधिक बैंक खातों वाले राज्यों में शराब और तंबाकू की खपत में सार्थक गिरावट के साथ-साथ अपराध में भी गिरावट देखी गई है।