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न्यायपालिका जितनी सुदृढ़ होगी लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा, पढ़िए- CJI एनवी रमणा के मन की पांच पीड़ा


रांची, । Chief Justice Of India NV Ramana भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिश एनवी रमणा शनिवार को झारखंड में मौजूद थे। कई कार्यक्रमों में उन्होंने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने अपने कार्यक्रमों में कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें कहीं, जो बेहद गंभीर और देश के लिए विचारणीय है। इस पर हर किसी को मंथन करना चाहिए। जस्टिश एनवी रमणा ने अपने भाषणों में लोकतंत्र, मीडिया, न्यायपालिका, न्यायाधीशों, नेताओं और नौकरशाहों का जिक्र करते हुए अपने मन की पीड़ा उजागर की। आइए, हम यहां बता रहे कि उन्होंने क्या क्या पीड़ा अभिव्यक्त की है।

सुदृढ़ न्यायपालिका से ही मजबूत लोकतंत्र

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिश एनवी रमणा ने कहा कि भारत में न्यायपालिका जितनी सुदृढ़ होगी, यहां का लोकतंत्र भी उतना ही मजबूत होगा। पहले न्यायाधीशों को केवल विवादों का निपटारा करना होता था, लेकिन मौजूदा समय में भारतीय समाज का हर वर्ग अपनी समस्या लेकर अदालत पहुंच रहा है। उसे अदालत से ही न्याय की उम्मीद रहती है। वह अपने न्यायाधीशों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखता है। उसे भरोसा होता है कि अदालत से उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा। उसे न्याय जरूर मिलेगा।

न्यायाधीशों की जिंदगी आरामदायक नहीं

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिश एनवी रमणा ने कहा कि लोगों को ऐसा लगाता है कि न्यायाधीशों की जिंदगी बेहद आरामदायक होती है, लेकिन ऐसा कतई नहीं है। न्यायाधीशों को दिन रात मेहनत करना पड़ता है। कानून का अध्ययन करना पड़ता है। तब जाकर वह अदालत आने वाले लोगों को न्याय दे पाते हैं।

नेताओं की तरह जजों को सुरक्षा नहीं

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिश एनवी रमणा ने कहा कि भारत में न्यायाधीशों के रिटायर होने के बाद उन्हें किसी तरह की सुरक्षा और सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं। वहीं, इस देश में राजनेताओं और नौकरशाहों को रिटायर होने के बाद भी सुरक्षा और सुविधाएं दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को भी रिटायर होने के बाद सुविधा और सुरक्षा मिलनी चाहिए। न्यायाधीश अपने कार्यकाल में कई ऐसे फैसले सुनाते हैं, जिससे उन्हें समाज में लौटने के बाद सुरक्षा की जरूरत होती है। उन्हें खतरा होता है। उन्होंने सरकार से कहा कि इस मामले पर ध्यान देना चाहिए।

न्यायाधीशों के फैसलों का मीडिया ट्रायल

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिश एनवी रमणा ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में न्यायाधीशों के फैसलों का मीडिया ट्रायल हो रहा है। यह चिंता की बात है। इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया अपनी जिम्मेदारी भूल गए हैं। कुछ लोग तो एक खास एजेंडा के तहत अपना काम कर रहे हैं। हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने मौजूदा समय में प्रिंट मीडिया को जिम्मेदार बताया। कहा कि प्रिंट मीडिया अभी जिम्मेदार जरूर है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया और सोशल मीडिया को अपनी जिम्मेदारी खुद तय करनी होगी।

इसलिए अदालतों में लंबित हैं मामले

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिश एनवी रमणा ने बताया कि अदालतों में मामले क्यों लंबित हैं। उन्होंने कहा कि लोग समझते हैं कि अदालतों में जो मामले लंबित हैं उसके लिए न्यायपालिका ही जिम्मेदार है। लेकिन यह सच नहीं है। अदालतों में अगर न्यायाधीशों के खाली पदों को भर दिया जाए और आधारभूत संरचना उपलब्ध करा दिया जाए तो यह समस्या दूर हो सकती है। अदालतों में अभी इसकी घोर कमी है। इस दिशा में पहल करने की जरूरत है। न्यायाधीशों की संख्या बढ़ने और आधारभूम संरचना उपलब्ध होने के बाद स्वत: लंबित मामलों के निष्पादन में तेजी आ जाएगी।