पंजाब कांग्रेस की अंतर्कलह को सुलझाने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह मंगलवार को संसद पहुंचे। उन्होंने पार्टी की तीन सदस्यीय समिति से मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर में मुलाकात की। मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चली। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सोनिया गांधी के साथ होने वाली बैठक पर पंजाब कांग्रेस के नेताओं की नजरें टिकी हैं। बेअदबी से लेकर विधायकों के बेटों को नौकरी तक के फैसलों के कारण अपनी ही पार्टी में घिरे कैप्टन को आलाकमान का कितना साथ मिलेगा, इसी पर नवजोत सिद्धू का भविष्य भी टिका है।
छह मंत्री और विधायक भी दिल्ली तलब समिति ने पंजाब के छह मंत्रियों और छह विधायकों को भी दिल्ली बुलाया है। मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, रजिया सुल्ताना, सुख सरकारिया, चरनजीत सिंह चन्नी और भरत भूषण आशू के अलावा विधायक परगट सिंह, राजा वड़िंग, कुलजीत नागरा, किकी ढिल्लो, संगत सिंह गिलजियां और इंदरबीर सिंह बुलारिया को तीन सदस्यीय समिति ने दिल्ली बुलाया है। इन नेताओं में ज्यादातर वही चेहरे हैं, जो मुख्यमंत्री द्वारा दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने का विरोध किया था। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद पंजाब कांग्रेस में बड़ा उलटफेर हो सकता है।
बढ़ रही है कैप्टन विरोधियों की संख्या अगर कैप्टन आलाकमान का पूरा समर्थन हासिल कर लौटे तो सिद्धू के लिए जल्दी ही पार्टी के दरवाजे बंद होने की आशंका बढ़ जाएगी। वैसे, अपने फैसलों के चलते पंजाब कांग्रेस में कैप्टन के विरोधियों की संख्या अब 20 से बढ़कर 30 हो गई है। भले ही रविवार को कुछ मंत्रियों के कैप्टन के समर्थन में बयान जारी कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। लेकिन कुछ नेता कैप्टन के फैसलों से नाखुश हैं।
पंजाब कांग्रेस की अंतर्कलह को मिटाने के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उम्मीद जताई कि सब कुछ सही हो जाएगा। विधानसभा चुनाव सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने एक स्वर में कहा कि वे एक साथ चुनाव लड़ेंगे।