पटना

पटना: प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति को 150 प्रश्नों की होगी परीक्षा


पूछे जायेंगे वस्तुनिष्ठ  व बहुविकल्पीय सवाल, दो घंटे की होगी परीक्षा, गलत उत्तर पर कटेंगे नम्बर

  • प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के लिए उम्र सीमा तय

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में माध्यमिक विद्यालय विहीन पंचायतों में स्थापित उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बिहार के निवासी ही प्रधानाध्यापक बनेंगे। नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा 150 प्रश्नों की होगी, जो वस्तुनिष्ठ एवं बहुविकल्पीय होंगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 0.25 अंक की निगेटिव मार्किंग होगी। परीक्षा दो घंटे की होगी। परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम आयोग द्वारा प्रशासी विभाग के परामर्श से किया जायेगा। परीक्षा के लिए अर्हतांक नियत करने का विवेकाधिकार आयोग को होगा। पद स्थानान्तरणीय होगा।

यह प्रावधान ‘बिहार राज्य उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक (नियुक्ति, स्थानान्तरण, अनुशासनिक काररवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2021’ में किया गया है। यह नियमावली बुधवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव संजय कुमार के हस्ताक्षर से अधिसूचित हुई है। अधिसूचित होने के साथ ही यह लागू हो गयी है। यह संवर्ग प्रमंडल स्तर का होगा। सीबीएसई, आईसीएसई एवं बीएसईबी से सम्बद्धता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के लिए न्यूनतम आयु सीमा 31 वर्ष और अधिकतम 47 वर्ष होगी। पंचायतीराज एवं नगर निकाय संस्थान अंतर्गत कार्यरत शिक्षकों के लिए न्यूनतम एवं अधिकतम आयु सीमा अलग से निर्धारित नहीं होगी।

प्रधानाध्यापक पद के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 50 प्रतिशत अंक के साथ स्नातकोत्तर उत्तीर्ण होना होगा। इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग, दिव्यांग, महिला एवं अर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पांच प्रतिशत की छूट मिलेगी। मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय एवं बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रदत्त आलिम की डिग्री तथा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त शास्त्री की डिग्री को स्नातक के समतुल्य माना जायेगा। मान्यता प्राप्त संस्था से बीएड या बीएएड या बीएससीएड उत्तीर्ण होना होगा।

नियुक्ति में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा लागू आरक्षण प्रावधान प्रभावी होगा। नियुक्ति प्रमंडल स्तर पर आरक्षण रोस्टर के अनुसार किया जायेगा। आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा के आलोक में नियुक्ति की जायेगी। आयोग द्वारा की गयी अनुशंसा, नियुक्ति का अधिकार तब तक नहीं प्रदान करेगी, जब तक कि यथा आवश्यक प्रमाणपत्रों की जांच के उपरांत प्रशासी विभाग संतुष्ट न हो जाय।