पटना

पटना: लॉकडाउन में हिलसा के लाल ने किया कमाल


फिजिक्स गुरु जितेंद्र सर ने बना दी इलेक्ट्रिक साइकिल

पटना (आससे)। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की सुगबुगाहट अब बिहार में भी होने लगी है। इसका जीता-जागता उदाहरण पेश किया है नालंदा जिले के गांव बलभद्र सराय,  हिलसा का लाल फिजिक्स गुरू अजीत कुमार उर्फ जीतेन्द्र सर। इन्होंने अपने 18 साल से फिजिक्स पढाने के अनुभव के साथ वैश्विक महामारी में लगने वाले लॉकडाउन के समय का सदुपयोग इस तरह किया कि इलेक्ट्रिक साइकिल तैयार कर बिहार सहित देश के युवाओं के लिए एक मिशाल प्रस्तुत किया।

खाली वक्त का उपयोग करते हुए, प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के नारे से प्रेरित होकर, अपने बिहार राज्य में बढती बेरोजगारी और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इन्होंने इलेक्ट्रिक साइकिल का निर्माण किया। निर्माण की प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए पटना से हिलसा तक की यात्रा इस इलेक्ट्रिक साईकिल से सफलता पूर्वक तय किया।

लॉकडाउन की अपनी उपलब्धियों का अनुभव प्रेस वार्ता में साझा करते जितेंद्र ने बताया कि राजीवनगर रोड नंबर 17 ए में स्थित अपने कोचिंग क्लास को अविष्कार केंद्र के रूप में तब्दील किया। यहीं इस साईकिल की परिकल्पना को साकार किया।

साईकिल एक बार चार्ज पर 80 किलोमीटर का सफर तय करती है। इसके साथ ही इस साइकिल की बॉडी और 250 वाट क्षमता वाली मोटर का निर्माण अपने अविष्कार केंद्र में ही तैयार किया है। साइकिल में 0.750 किलोवाट की लेड एसिड बैट्री का प्रयोग किया गया है। बैट्री सहित साइकिल का वनज 35 किलोग्राम है।

साइकिल की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित की है। स्पोर्टी मोड में 65 किलोमीटर तक की सफर तय करती है। और, आइडियल कंडिशन में 80 किलोमिटर की रेंज देती है। रात के समय में चलने के लिए इसके हैंडिल में इंडिकेटर लगाया गया है। 100 से 150 किलोग्राम वजन को अपने अनुकूलतम स्पीड में ढो सकता है यह साईकिल।

इस साइकिल में पावर फुल हेड लाइट के साथ, साइड इंडिकेटर भी लगे हुए हैं। पार्किंग लाइट इंडिकेटर के साथ-साथ एंटी थिप सेंसर लॉक और रिमोट संचालित आडियो से लैश किया गया है।

फिजिक्स गुरू अजित कुमार का दावा किया है कि वे बाजार में सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक साइकिल उतार सकते हैं। जिसकी कीमत बाजार में 27 हजार रुपये तक आ सकती है। सरकार यदि इस पहल की ओर ध्यान देती है, तो बिहार में इस इलेक्ट्रिक साइकिल का उद्योग लगाया जा सकता है। जिससे हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिल सकता है।

जितेन्द्र ने कहा कि इसका उद्योग लगाने में डेढ़ से दो करोड़ की लागत आएगा। यदि इस उद्योग को विकसित करने में सरकार की सहायता मिलती है, तो इससे जहाँ एक ओर रोजगार का अवसर सृजित होगा वहीं प्रदूषणमुक्त इलेक्ट्रिक साईकिल से कम समय में अधिक दूरी तय करना आसान होगा।