सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर कल भी रहेंगे शिक्षकेतरकर्मी
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों सहित 250 अंगीभूत महाविद्यालयों के तकरीबन 33 हजार शिक्षकेतर कर्मचारी मंगलवार को दो दिनों के सामूहिक अवकाश पर चले गये। इससे विभिन्न विश्वविद्यालयों सहित अंगीभूत एवं अल्पसंख्यक महाविद्यालयों के कार्यालयों में काम-काज ठप पड़ गया है। सामूहिक अवकाश के दौरान शिक्षकेतर कर्मचारियों ने अपने-अपने विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना दिया। शिक्षकेतर कर्मचारियों के दो दिवसीय सामूहिक अवकाश का आह्वान बिहार राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने किया है।
शिक्षकेतर कर्मचारियों की मांगों में सप्तम वेतनमान का भुगतान, वेतनमान में विसंगतियों का निराकरण, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन, स्टाफिक पैटर्न पर नियुक्त कर्मचारियों के वेतन का बजट में प्रावधान, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के वेतनमान में सुधार, सेवानिवृति की आयु शिक्षकों की भांति 65 वर्ष, अनुकंपा पर नियुक्ति एवं नियमित वेतन-पेंशन का भुगतान शामिल है। महासंघ के अध्यक्ष गंगा प्रसाद झा एवं महामंत्री ब्रजकिशोर सिंह ने बताया कि सरकार के नकारात्मक व्यवहार से दु:खी होकर कर्मचारियों ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है। पिछले वर्ष हुए राज्यव्यापी धरने के बाद आश्वासन मिला था कि जल्द ही वार्ता कर कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण किया जायेगा, परन्तु आज तक शिक्षा विभाग द्वारा किसी तरह की पहल नहीं की गयी है।
यहां पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय मुख्यालय समेत सभी अंगीभूत एवं अल्पसंख्यक महाविद्यलयों के कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहते हुए विश्वविद्यालय मुख्यालय पर धरना पर बैठे। इससे विश्वविद्यालय समेत सभी महाविद्यलयों के सभी तरह के कार्य पूर्णत: ठप रहे। धरना का नेतृत्व कर रहे पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दीपक कुमार ने बताया कि आंदोलन के अगले चरण में शिक्षकेतर कर्मचारी निश्चितकालीन हड़ताल पर और उसके बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने वाले हैं। धरना पर बैठने वालों में महासंघ के उपाध्यक्ष वेंकटेश कुमार, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार, प्रक्षेत्र के उपाध्यक्ष बिनोद कुमार, संयुक्त मंत्री संजीव कुमार, अरविन्द सिंह, राजीव नयन एवं भोला सिंह के नाम उल्लेखनीय हैं।