900 पैकेट की बिहार में है प्याज की रोजना खपत
पटना (आससे)। प्याज की बढ़ी कीमतों ने लोगों को फिर रूला दिया है। मात्र २८ दिनों में प्याज के दाम में २८ रुपये किलो की वृद्धि हुई है। प्याज की बढ़ी कीमत से क्या व्यापारी और क्या उपभोक्ता, सभी परेशान हैं। नम्बर, दिसम्बर, २०२० में प्याज का दाम ७० रुपये किलो तक पहुंच गया था। प्याज की कीमतें नियंत्रित करने के लिए इसका विदेशों और नासिक-महाराष्ट्र से आयात किया गया, तो इसकी कीमत २८ से ३० रुपये किलो पर आकर स्थिर हुई।
प्याज उत्पादक सबसे बड़े देशों में बांग्लादेश और श्रीलंका है। इस बार इन प्याज उत्पादक देशों में भारी बारिश होने के कारण प्याज की फसल मारी गयी। ऐसे में भारत में इन देशों से प्याज का निर्यात बंद हो गया। आज हालात ये हैं कि नासिक और महाराष्ट्र का प्याज दूसरे राज्यों में निर्यात हो रहा है। नासिक-महाराष्ट्र के प्याज का निर्यात अचानक बढऩे से इसकी कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है।
प्याज की बढ़ी कमतें एक नजर में दिसम्बर, २०२० में-३० रुपये किलो जनवरी, २०२१ में-३८ रुपये किलो १४ जनवरी, २०२१ में-४० रुपये किलो १६ फरवरी, २०२१ में-४० रुपये किलो १९ फरवरी, २०२१ में-५० रुपये किलो २१ फरवरी, २०२१ में-६० रुपये किलो
बिहार-झारखड में प्याज का प्रोडक्शन अप्रैल से होगा। अप्रैल से ही बिहार-झारखंड में प्याज की कीमतें नीचे आने की उम्मीद है। यानी मार्च-अप्रैल तक इसकी कीमत में १० से २० रुपये किलो और बढ़ेगी। बिहार प्याज मार्केट एसोसियेशन के अनुसार हर दिन ९०० पैकेट्स प्याज की खपत होती है। प्याज की बढ़ी कीमतों ने सामान्य और निम्न उपभोक्ताओं ने तो इसके उपयोग पर थोड़ा नियंत्रण किया है, किंतु ७० प्रतिशत उपभोक्ता आज भी महंगी कीमत पर प्याज खरीद कर इस्तेमाल करने को विवश हैं।
प्याज के थोक व्यापरी उत्तम कुमार ने बताया कि यदि प्याज का एक्सपोर्ट बैन कर दिया जाये, तो इसकी कीमतें घट सकती हैं, लेकिन सरकार, कृषि विभाग और खाद्य आपूर्ति विभाग को संयुक्त रूप से इसके लिए पहल करनी होगी। इसके लिए नासिक के प्याज को मार्केट में ज्याद से ज्यादा छोडऩा होगा।