पटना

पत्रकारिता एक मिशन, समाज से इसका सीधा संबंध : विजय कुमार चौधरी


उर्दू मीडिया फोरम की गोष्ठी, परिचर्चा एवं  कविता

पटना (आससे)। पत्रकारिता एक मिशन है, यह मुनाफाखोरी की चीज नहीं है। इसका सीधा संबंध समाज से है। पत्रकारिता समाज की समस्याओं को सरकार की दहलीज तक पाहुंचाने और सरकार की नीतियों को लोगों तक पहुंचाने का नाम है। उक्त टिप्पणी बिहार के शिक्षा मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी ने आज उर्दू पत्रकारिता के दो सौ वर्ष के पूर्ण होने के अवसर पर बिहार उर्दू अकादमी में उर्दू मीडिया फोरम बिहार द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह को संबोधित करते हुए कही।

मंत्री महोदय ने कहा कि पत्रकारिता में गलत चीजों की निंदा की जानी चाहिए और सही चीजों की सराहना की जानी चाहिए। इससे समाज में परिवर्तन होता है। आज सोशल मीडिया के आने से एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। क्योंकि पत्रकारिता केवल सच बयान करती है और लोगों को दिशा भी देती है कि अब क्या होना चाहिए। जबकि सोशल मीडिया बिना रिसर्च के ही जानकारी देती है। जो कई बार हालात को और खराब कर देते हैं। हालात तब और खराब हो जाते हैं जब मीडिया के लोग समाचार पहुंचाना बंद कर देते हैं और समाचार बेचना शुरू कर देते हैं। जब आपका लक्ष्य बेचना हो जाये, तो इसका सीधा संबंध उस लाभ से होता है जो गलत समाचार फैलाता है, और आजकल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर, प्रायोजित बहसें होती हैं।

उन्होंने कहा कि आज जब उर्दू मीडिया फोरम उर्दू पत्रकारिता का दो सौ वर्ष मना रहा है, मैं यह कहना चाहता हूं कि दो सौ साल पहले कलकत्ता से पहला उर्दू अखबार जाम ए जहां नुमा प्रकाशित हुआ था। राष्ट्रीय जनता दल के उपाध्यक्ष श्री शिवानंद तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि आज सिर्फ उर्दू ही नहीं बल्कि सभी भाषाओं के समाचार पत्र संकट का सामना कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, उर्दू और हिंदी का बंटवारा हो गया। तब से उर्दू को मुसलमानों की भाषा माना जाता रहा है। तब से उर्दू पत्रकारिता संकट में है। इतने प्रकार हैं, कहना मुश्किल है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब गांधी जी चंपारण आए थे और समाचार प्रसारित करने में काफी दिक्कतें आती थीं। तब भी गांधी को गांधी बनाने का काम उर्दू पत्रकारिता ने किया था। अपने अध्यक्षीय भाषण में मुफ्ती सनाउल हुदा कासमी ने कहा कि उर्दू मीडिया फोरम द्वारा दो सौ वर्ष समारोह के दौरान उठाई गई आवाजों का समाधान किया जाएगा। हमें खुशी है कि मंच द्वारा उठाई गई आवाज को स्वीकार किया गया।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले महत्वपूर्ण व्यक्तियों में अनवारुल हसन वस्तवी, कलीम अशरफ, शाहनवाज अता, आफताब अहमद, राजेश कुमार, मुहम्मद हसनैन, मुहम्मद नेमातुल्लाह, अशरफ अस्थनवी, सैयद मसूद-उर-रहमान, डॉ असलम जावदां, डॉ अब्दुल वाहिद अंसारी, डॉ. मुकर्रम हुसैन नदवी, डॉ. अशरफ नबी कैसर, शाह फैज-उर-रहमान, काशिफ रजा, काशिफ अहमद, नौशाद अहमद आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। दूसरे सत्र में मुशायरा हुआ जिसमें प्रो. एजाज अली अरशद, असफर फरीदी, इफ्तिखार आकिफ, नाशाद औरंगाबादी, मासूमा खातून, निकहत आरा, मोइन गिरिडिहवी, बेनाम गिलानी नदीम जाफरी, डॉ. शमा यास्मीन नाज़ान, डॉ. नसीम फरहाना ने कविता प्रस्तुत किया।