वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले में अगली सुनवाई को 11 अक्टूबर की तिथि नियत की है। अभियोजन के अनुसार अनुसार 23 अक्टूबर 2014 को अभियुक्त हरमीत ने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहिन हरजीत कौर, तीन साल की भांजी सहित बहिन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी।
हत्यारे ने पांच लोगों की हत्या करने में चाकू से 85 बार वार किया। जिसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से हुई। पुलिस जांच में पाया कि हरमीत के पिता की दो शादियां थी। उसको शक था कि उसके पिता सारी सम्पति को सौतेली बहिन के नाम पर न कर देंगे। उसकी सौतेली बहन एक सप्ताह पहले अपनी डिलीवरी के लिए आई हुई थी। उसकी सालगिरह 25 अक्टूबर को थी। जिसकी वजह से वह अपने बच्चे की डिलीवरी 25 अक्टूबर को ही कराना चाहती थी।
अगर वह डिलीवरी एक दिन पहले करा लेती तो शायद बच्चे व मां की जान बच सकती थी। इसका फायदा उठाते हुए दीपावली की रात को घर पर पाँच लोगों की निर्मम हत्या कर दी। इस केस का मुख्य गवाह पांच वर्षीय कमलजीत बच गया।
हत्यारे ने घटना को चोरी का अंजाम देने के लिए अपने हाथ की भी काट ली थी। यह वारदात देहरादून के आदर्श नगर की थी। 24 अक्टूबर 2014 को पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। जिला सत्र न्यायाधीश (पंचम) आशुतोष मिश्रा ने पांच अक्टूबर 2021 को उसे फांसी की सजा के साथ ही एक लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया।