दिव्य कुमार सोती। अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने आइएसआइ के पूर्व मुखिया हामिद गुल की अंगुली पकड़कर अपनी राजनीतिक यात्रा आरंभ की थी। इमरान को राजनीति में लाने वाले गुल वही शख्स थे, जिन्होंने तालिबान को भी खड़ा किया था। आज जो पाकिस्तानी सेना इमरान की राजनीतिक बलि लेना चाहती है, उसी ने साढ़े तीन साल पहले छल-बल से उनकी सरकार बनवाई थी। इसी कारण समय-समय पर इमरान सेना के साथ अपने बेहतरीन रिश्तों का दम भरते रहे, पर एकाएक सब बदल गया और अब स्थिति यह है कि इमरान के हाथ से सत्ता की लगाम छूटने वाली है।
कुछ दिन पहले ही इमरान खान ने भारतीय विदेश नीति की तारीफ के पुल बांधे और भारतीय सेना को भ्रष्टाचार मुक्त बताया था। इससे वह इशारों में ही सही, लेकिन भारतीय सेना की तुलना पाकिस्तानी फौज से कर गए और एक तरह से अपनी फौज को भ्रष्टाचार में डूबा बता गए। इमरान खान ने यह सब तब बोला जब उनकी सरकार अपने सांसदों की घटती संख्या के चलते गंभीर संकट में घिरी हुई थी। इमरान अपनी फौज को नीचा दिखाने के लिए यह सब इसलिए बोल रहे थे, क्योंकि उन्हें समझ आ गया था कि वह अब उन्हें सत्ता से चलता करना चाहती है।