पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि देश भर में अधिकांश हिंदू धार्मिक स्थल उपेक्षित हैं। डॉन न्यूज ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह रिपोर्ट 5 फरवरी को एक व्यक्ति वाले शोएब सूडल कमीशन ने पेश की थी। इस कमीशन को शीर्ष अदालत ने गठित किया था।
रिपोर्ट में खेद जताया गया है कि पाकिस्तान में हिंदू और सिख धार्मिक स्थलों की देखरेख करने वाला एवाक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकांश प्राचीन और पवित्र स्थलों को मेंटेन करने में विफल रहा है।6 और 7 जनवरी को आयोग ने क्रमश: चकवाल में कटास राज मंदिर मुल्तान में चकवाल और मुल्तान में प्रह्लाद मंदिर का दौरा किया था। रिपोर्ट में पाकिस्तान के 4 सबसे अधिक मान्यता वाले स्थलों में से 2 की बदहाल स्थिति की तस्वीर दिखाई गई है।
आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में निर्जन टेरी मंदिर/समाधि का जीर्णोद्धार करने के लिए ईटीपीबी को निर्देश दें। 1997 में एक मुस्लिम धर्मगुरु द्वारा जबरन कब्जा किए जाने के बाद यह स्थल नष्ट हो गया था।
डॉन न्यूज ने बताया कि रिपोर्ट में दोनों अल्पसंख्यक समुदायों के पवित्र धार्मिक स्थलों के पुनर्वास के लिए एक कार्यकारी समूह की स्थापना करने का भी सुझाव दिया गया है।
एक आधिकारिक सर्वेक्षण के अनुसार, विभाजन से पहले पाकिस्तान में 428 हिंदू मंदिर थे, जिनमें से अब केवल 20 ही बचे हैं। पाकिस्तान के कुछ प्रमुख हिंदू मंदिरों में श्री हिंगलाज माता मंदिर (बलूचिस्तान), श्री रामदेव पीर मंदिर (सिंध), उमरकोट शिव मंदिर (सिंध) और चुरियो जबाल दुर्गा माता मंदिर (सिंध) शामिल हैं। 2017 में पाकिस्तान में हुई जनगणना के अनुसार, देश की कुल आबादी में हिंदुओं का प्रतिशत 2.14 है।