नई दिल्ली, जीएसटी अधिकारियों ने पिछले दो वर्षों में 55,575 करोड़ रुपये की जीएसटी धोखाधड़ी का पता लगाया है। सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप में 700 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
इसके अलावा GST इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) के अधिकारियों द्वारा 22,300 से अधिक नकली GST पहचान संख्या (GSTIN) का पता लगाया गया है। आपको बता दें कि सरकार ने 9 नवंबर, 2020 को नकली/फर्जी चालान जारी करके धोखाधड़ी से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) प्राप्त करने के लिए बेईमान संस्थाओं के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी विशेष अभियान शुरू किया था।
जीएसटी चोरी के खिलाफ सख्त हुई सरकार
अधिकारी ने कहा कि विशेष अभियान के दो वर्षों में 55,575 करोड़ रुपये की जीएसटी/आईटीसी धोखाधड़ी का पता चला है। 719 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें 20 सीए/सीएस प्रोफेशनल भी शामिल हैं। इस दौरान 3,050 करोड़ रुपये के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की स्वैच्छिक जमा राशि की गई है। इन मामलों में वसूली राशि का खुलासा नहीं किया गया, लेकिन कहा कि यह एक “बड़ी राशि” होगी। अधिकारी ने कहा कि विश्वसनीय खुफिया सूत्र, डीजीजीआई, डीआरआई, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जैसी खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय ने हमें कर चोरों पर कार्रवाई करने में मदद की है।”
ऐसे रुकेगी कर चोरी
जीएसटी विभाग पंजीकरण के सत्यापन, ई-वे बिल की आवश्यकता और जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के लिए सत्यापन सहित चोरी को रोकने के लिए कदम उठा रहा है। इसके अलावा जीएसटी भुगतान के लिए व्यवसायों द्वारा उपयोग किए जा सकने वाले आईटीसी की मात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। अधिकारी ने कहा कि हाल के वर्षों में, विभाग ने फर्जी आईटीसी दावों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। जीएसटी अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों से निश्चित रूप से हालात में सुधार हुआ है और यह मासिक जीएसटी संग्रह में दिखाई दे रहा है।
लगातार बढ़ रहा जीएसटी कलेक्शन
अक्टूबर में जीएसटी राजस्व में लगभग 1.52 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए गए। अप्रैल के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा था, जब जीएसटी संग्रह लगभग 1.68 लाख करोड़ रुपये था।
अप्रैल में जीएसटी राजस्व लगभग 1.68 लाख करोड़ रुपये, मई में 1.41 लाख करोड़ रुपये, जून में 1.45 लाख करोड़ रुपये, जुलाई में 1.49 लाख करोड़ रुपये, अगस्त में 1.44 लाख करोड़ रुपये, सितंबर में 1.48 लाख करोड़ रुपये और अक्टूबर में 1.52 लाख करोड़ रुपये था।