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पीएम मोदी ने कहा- कृषि क्षेत्र की चुनौतियों के समाधान के बिना संपूर्ण विकास संभव नही


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा ‘संपूर्ण विकास का लक्ष्य तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता, जब तक कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान न हो जाए।’ प्रधानमंत्री ने कृषि और सहकारिता विषय पर बजट प्रविधानों पर आयोजित वेबिनार में कहा कि देश में कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार निर्णय लिए जा रहे हैं ताकि राष्ट्र ‘आत्मनिर्भर’ बन सके। देश की जरूरतों के लिए दलहन, खाद्य तेल और अन्य प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के आयात पर दो लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा व्यय हो रही है। उन्होंने कृषि उत्पादों की इस आयात निर्भरता से मुक्ति पाने की अपील की।

कृषि बजट में हुई पांच गुना की बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री मोदी ने फसल विविधीकरण का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ गेहूं व चावल तक सीमित नहीं होना चाहिए। घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक किसानों की पहुंच को आसान बनाया गया है। खाद्य तेल के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर होने के लिए तिलहनी फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अकेले खाद्य तेलों के आयात पर डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं। कृषि बजट पर सवाल उठाने वालों को याद दिलाने के अंदाज में प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में जो कृषि बजट 25 हजार करोड़ से भी कम था, वह आज पांच गुना बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। हाल के वर्षों में हर बजट को गांव, गरीब और किसानों का बजट कहा जाता है।

कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का किया उल्लेख

कृषि क्षेत्र की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘जब तक एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़ी चुनौतियों को दूर नहीं कर लिया जाता, संपूर्ण विकास का लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता।’ देश के कई क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उसमें युवाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है। लेकिन एग्रीकल्चर सेक्टर में उनकी भागीदारी कम है जबकि इसमें आगे बढ़ने की संभावनाओं से सभी वाकिफ हैं। इस क्षेत्र में निजी भागीदारी और निवेश भी कम है। इसी के मद्देनजर आम बजट में कई तरह के ऐलान किए गए हैं। इसके लिए ओपन सोर्स बेस्ड प्लेटफार्म को प्रोत्साहित किया गया है। एग्री-टेक डोमेन में भी अपार संभावनाएं बन रही हैं।

आम बजट में मिली श्रीअन्न की पहचान

उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के माध्यम से ड्रिप इरिगेशन, किसानों को सलाह, स्वायल टेस्टिंग, किसानों को समय पर जानकारी मुहैया कराने और ड्रोन जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। पहले जहां कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स न के बराबर थे, अब उनकी संख्या तीन हजार के पार पहुंच चुकी है। अंतराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 घोषित होने का फायदा उठाते हुए मोटे अनाज को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना है। सरकार छोटे किसानों के लिए वैश्विक बाजार के द्वार खोल रही है, जिसके लिए वैश्विक बाजार तैयार हो रहा है। आम बजट में इसे श्रीअन्न की पहचान मिली है।

सहकारिता में नई क्रांति

आम बजट में सहकारिता को दिए महत्व के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सहकारिता में नई क्रांति हो रही है। अभी तक यह कुछ एक राज्यों तक ही सीमित रहा, उसे अब विस्तार मिल रहा है। बजट में नई टैक्स रियायतें देकर सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित किया गया। सहकारी समितियों को तीन करोड़ रुपये तक की नगद निकासी पर टीडीएस नहीं लगेगा। सहकारी क्षेत्र में यह भाव हमेशा से रहा कि बाकी कंपनियों के मुकाबले उनके साथ भेदभाव किया जाता है, जिसे आम बजट में समाप्त कर दिया गया।

पिछले 8 से 10 वर्षों में मत्स्य उत्पादन में हुई 70 लाख टन की वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जिन क्षेत्रों में सहकारी संस्थाएं पहले से नहीं है, वहां डेयरी और मत्स्य से जुड़ी सहकारी संस्थाओं को बहुत लाभ होगा। मत्स्य क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं। पिछले 8 से 10 वर्षों में मत्स्य उत्पादन में 70 लाख टन की वृद्धि हुई है।प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन की बात करते हुए प्रधानंमंत्री ने कहा कि इसे बढ़ावा देने और केमिकल आधारित खेती को घटाने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। पीएम प्रणाम योजना और गोबरधन योजना से बड़ी मदद मिलेगी।