नई दिल्ली। राजनीतिक रोटियां सेंकने के चक्कर में कई राज्यों में फिर से पुरानी पेंशन स्कीम की चर्चा तेज हो गई है। अगर विपक्षी दलों को इसका लाभ मिलता दिखा तो हो सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी वे चुनावी वादों में इसे शामिल करें। हालांकि वित्तीय विशेषज्ञ पुरानी पेंशन स्कीम को अर्थ तंत्र और विकास के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा मानते हैं, क्योंकि इस स्कीम के लागू रहने पर एक समय ऐसा आएगा, जब हमारी अर्थ प्रणाली पुरानी पेंशन के तहत भुगतान करने में सक्षम नहीं रह जाएगी।
पी चिंदबरम ने नई पेंशन स्कीम को बताया था आवश्यक
यही कारण है कि नई पेंशन स्कीम को लाई तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार लाई थी, लेकिन वर्ष 2008 में संप्रग के केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने नई पेंशन स्कीम को आवश्यक कदम बताया था और सभी राज्यों से नई पेंशन स्कीम में शामिल होने की गुजारिश की थी। वर्ष 2004 में नई पेंशन स्कीम को लागू करने के दौरान वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा थे और हाल ही में उन्होंने कहा था कि हमने भारत की पेंशन स्कीम की विस्तृत पड़ताल की और पाया कि सरकार वेतन से अधिक भुगतान पेंशन के मद में कर रही है। बजट का बोझ बढ़ता जा रहा था और हमने योगदान से मिलने वाली पेंशन को अपनाने का फैसला किया।
2041 तक 16 प्रतिशत आबादी 60 साल से अधिक उम्र की होगी
अभी केंद्र सरकार पुरानी पेंशन स्कीम के तहत 68.62 लाख पूर्व कर्मचारियों को पेंशन देती है, जबकि केंद्रीय कर्मचारियों की संख्या 47.68 लाख ही है। औसत आयु बढ़ने से आबादी में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या बढ़ती जाएगी। सरकारी अनुमान के मुताबिक वर्ष 2041 तक भारत की 16 प्रतिशत आबादी 60 साल से अधिक उम्र की होगी जबकि वर्ष 2011 में 8.6 प्रतिशत आबादी 60 साल से ऊपर की थी।
आयु सीमा बढ़ने से पेंशन भुगतान में बढ़ोतरी
आयु सीमा बढ़ने से पेंशन के मद में भुगतान लगातार बढ़ रहा है और पुरानी पेंशन स्कीम जारी रखने पर एक समय ऐसा आएगा, जब हमारी प्रणाली भुगतान करने में सक्षम नहीं रह जाएगी। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम पूरी तरह से करदाताओं के योगदान पर चलती है जबकि नई पेंशन स्कीम कर्मचारियों के योगदान से। नई स्कीम में पेंशनभोगी का पैसा इकट्ठा करके उन्हें पेंशन दी जाती है। जो अधिक पेंशन लेना चाहता है, वह अधिक योगदान दे सकता है। भारत में बैंक के कर्मचारियों को पहले से ही नई पेंशन स्कीम के हिसाब से पेंशन दी जा रही है।
आरबीआइ ने राज्यों को दी है चेतावनी
आरबीआइ ने इस साल जून में जारी अपनी रिपोर्ट में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने वालों राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा था कि इससे वित्तीय स्थिति प्रभावित होने के साथ भावी पीढ़ी पर कर का अधिक बोझ पड़ेगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वर्ष 2017-22 तक देश के 10 सबसे अधिक कर्जदार राज्य अपने जीएसडीपी का 12.5 प्रतिशत पेंशन भुगतान पर खर्च कर रहे हैं। इन राज्यों में पंजाब, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और झारखंड मुख्य रूप से शामिल हैं।