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फोन टैपिंग के मामले में फंसे पूर्व सीएम अशोक गहलोत


जयपुर, राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के फोन टेप करवाने के मामले को लेकर एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है। अब प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार गहलोत सरकार के कार्यकाल में हुए टेलीफोन टेप प्रकरण की जांच करवाने की तैयारी कर रही है।

 

सूत्रों के अनुसार, सरकार में उच्च स्तर से गृह विभाग से यह जानकारी मांगी गई है कि गहलोत सरकार में किस के निर्देश पर टेलीफोन टेप हुए थे। इसके लिए अधिकारिक तौर पर आदेश जारी किए गए थे या फिर मौखिक निर्देश पर ही टेलीफोन टेप करवाए गए थे।

सरकार इस बात की जानकारी करवा रही है कि यदि अधिकारिक आदेश दिए गए थे, तो तत्कालीन गृह सचिव, पुलिस और किसी अन्य अधिकारी में से किसने यह आदेश दिए थे। सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जानकारी में गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय में इस तरह की कोई फाइल नहीं मिली, जिसमें पायलट सहित अन्य विधायकों के टेलीफोन टेप करवाने की बात कही गई हो।

अशोक गहलोत ने खारिज किए आरोप

उधर, गहलोत ने शुक्रवार को जोधपुर में टेलीफोन टैपिंग के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हमारे वक्त किसी विधायक और सांसद का टेलीफोन टेप नहीं करवाया गया था। टेलीफोन टैपिंग कोई मुददा नहीं है, जो कहा गया मैं उसका जवाब नहीं देना चाहता हूं।

राजस्थान में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो टेलीफोन टेप नहीं होते हैं। जहां तक मैं जानकारी रखता हूं, प्रदेश में किसी भी विधायक व सांसद के टेलीफोन टेप नहीं हुए होंगे। भाजपा भी नहीं नहीं करती होगी, क्योंकि अधिकारी भी तो कानून से चलते हैं। कभी कानून यह नहीं कहता कि उनके टेलीफोन टेप करो।

पूर्व विशेषाधिकारी ने क्या लगाए आरोप?

गहलोत के पूर्व विशेषाधिकारी लोकेश शर्मा ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में साल 2020 में टेलीफोन टैपिंग के आरोप लगाए हैं। शर्मा ने कहा कि उस समय मैंने जो ऑडियो क्लिप मीडिया में दी, थी वह गहलोत के निर्देश पर दी थी। शर्मा ने कहा कि 16 जुलाई 2020 को गहलोत ने ही मुझे एक पेन ड्राइव और एक छपा हुआ कागज दिया था, जिनमें तीन आडियो क्लिप थी, जिसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त की बात कही थी।

शर्मा ने ये भी कहा कि उसमें केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पायलट समर्थक विधायक भंवरलाल शर्मा व व्यापारी संजय जैन कीबातचीत का हवाला था। शर्मा ने कहाकि गहलोत ने मुझसे कहा था कि मीडिया से इन्हें जारी करो कि भाजपा कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है।

टेलीफोन टेप की क्या है प्रक्रिया?

गृह विभाग को पुलिस या अन्य जांच एजेंसी के सक्षम अधिकारी द्वारा फाइल भेजकर लिखित में टेलीफोन टेप करने का कारण बताना होता है। जांच एजेंसी की ओर से टेलीफोन टैपिंग सही की है या नहीं इस पर मुख्य सचिव स्तर पर कमेटी समीक्षा करती है। एसओजी, पुलिस की क्राइम ब्रांच, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो व पुलिस की गुप्तचर शाखा सक्षम स्तर से अनुमति के बाद टेलीफोन टेप करवा सकती है। गैर कानूनी रूप से टेलीफोन टेप करवाने पर तीन साल की सजा का नियम में प्रावधान है। गैर कानूनी रूप से टेपिंग निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाता है।