- कोरोना महामारी के बीच दिल्ली समेत देश भर में ईद उल अज़हा का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा। बकरीद के मद्देनजर बाजारों में लोग खरीददारी कर रहे है। त्योहार को लेकर लोगों के बीच काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। वहीं, कोरोना का असर ईल-उल-अज़हा के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में लगने वाली बकरा मंड़ियों पर पड़ा है। लॉकडाउन में आम लोगों की आदमनी घटी है जबकि महंगाई, खास कर पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के कारण दूर दराज़ के इलाकों से बकरों को दिल्ली लाने की लगात में इजाफा हुआ है, और बकरा पिछले साल की तुलना में करीब 50 फीसदी तक मंहगा हो गया है।
महामारी की संभावित तीसरी लहर को रोकने के लिए दिल्ली में प्रशासन सख्ती बरत रहा है। ऐसे में पुरानी दिल्ली, सीलमपुर और ओखला समेत अन्य इलाकों में बकरा मंडियों का स्वरूप पिछले सालों जैसा नहीं है। इस बार जानवर कम भी आए हैं, और महंगे हैं। बकरीद बुधवार को मनाया जाएगा। उस दिन मुस्लिम बकरे, दुंबे और अन्य जानवरों की कुर्बानी करते हैं। सीलमपुर में सड़क किनारे लगी मंडी में आए बरेली के आशु ने कहा, “बाजारों को लेकर प्रशासन सख्त है, इसलिए हमने बकरे सस्ते में बेच दिए हैं। हमें घाटा हुआ है। लॉकडाउन में पहले ही हमारी मांस की दुकान कई महीनों तक बंद रही जिस वजह से हमें आर्थिक तौर पर खासी परेशानी हुई, सोचा था कि बकरे बेचने से कुछ कमाई हो जाएगी, लेकिन इसमें भी घाटा हो गया।”
आशु हर साल ईद-उल-अज़हा के मौके पर व्यापार के लिए 30-40 बकरे लेकर दिल्ली के जाफराबाद व सीलमपुर आया करते थे। इस बार वह सिर्फ आठ बकरे ही लेकर आए हैं। दिलशाद गार्डन के रहने वाले जावेद ने 8700 रुपये का बकरा खरीदा है। उनका कहना है कि पिछले साल की तुलना में बकरा इस बार काफी मंहगा है। फर्नीचर का काम करने वाले जावेद बताते हैं, “लॉकडाउन की वजह से पिछले साल और इस साल कई महीनों तक मेरी दुकान बंद रही, जिसका असर कुर्बानी के मेरे बजट पर पड़ा है। मैं अक्सर दो-तीन बकरे खरीदता था, लेकिन इस बार सिर्फ एक ही जानवर खरीदा है।”