बक्सर। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में सोमवार रात एक नवजात शिशु की मौत हो गई। उसकी मौत पर स्वजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। उनका आरोप था कि नवजात को गलत इंजेक्शन लगा दिया गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर संबंधित कर्मी पर कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक पड़ोसी जिला बलिया के कोटवा नारायणपुर के रहने वाले राजकुमार की पत्नी लक्ष्मी कुमारी को 10 दिसंबर को प्रसव पीड़ा होने पर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में प्रसूता ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। बताया जाता है कि इस दौरान महिला को आईसोइम्युनाइज्ड प्रेग्नेंसी होने के कारण एंटी-डी इंजेक्शन लगाने की चिकित्सकों ने सलाह दी थी।
यह इंजेक्शन प्रसूता को दिया जाना था ताकि, उसे आगे किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। लेकिन, स्वजनों का आरोप है कि एंटी-डी नामक इंजेक्शन प्रसूता के बजाय नवजात को लगा दिया गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस संबंध में पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने बताया कि मामले में उपाधीक्षक डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया है। जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। जांच दल में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. भूपेंद्र नाथ तथा डॉ. अनिल कुमार सिंह शामिल हैं।
कब लगता है एंटी-डी इंजेक्शन
प्रसूता को एंटी-डी इंजेक्शन तब लगाया जाता है, जब उसका रक्त निगेटिव और नवजात का रक्त पॉजिटिव होता है। चिकित्सक बताते हैं कि उस समय यह इंजेक्शन इसलिए लगाया जाता है कि ताकि आगे से गर्भधारण के दौरान प्रसूता को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो।
मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस मामले में उपाधीक्षक डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव के नेतृत्व में जांच दल का गठन किया गया है। जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. जितेंद्र नाथ, सिविल सर्जन, बक्सर