- जस्टिस बीएस चौहान जांच आयोग ने विकास दुबे की मुठभेड़ मामले में पुलिस को क्लीन चिट दे दी है. आयोग ने रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
Bikru Kand: जस्टिस बीएस चौहान जांच आयोग ने कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में कुख्यात विकास दुबे की मुठभेड़ में पुलिस को क्लीन चिट दे दी है. जांच आयोग ने गुरुवार को विधानसभा में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. आयोग की तरफ से पुलिस के पक्ष और घटना से संबंधित साक्ष्यों का खंडन किसी ने नहीं किया. विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे ने पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए एफिडेविट तो दिया था, लेकिन वह भी आयोग के सामने उपस्थित नहीं हुई.
जस्टिस बीएस चौहान जांच आयोग को कुख्यात विकास दुबे पर स्थानीय पुलिस राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों की मेहरबानी के पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विकास दुबे और उसके सहयोगी अधिकारियों के लगातार संपर्क में थे. रिपोर्ट में कहा गया कि स्थानीय पुलिस को विकास दुबे सुख सुविधाओं से संबंधित तमाम साजो -सामान मुहैया कराता था. इन सुविधाओं के बदले स्थानीय पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी विकास दुबे और उसके गैंग को संरक्षण देते थे. अगर कोई पीड़ित विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने आता तो पुलिस उसे अपमानित करके भगा देती थी. पीड़ित जब आला अधिकारियों के पास शिकायत लेकर जाता तो थाना स्तर के अधिकारी उन्हें भी गुमराह कर देते थे.
कई केस होने के बावजूद मिले हथियारों के लाइसेंस
विकास दुबे का नाम सर्किल के टॉप टेन अपराधियों में था, बावजूद इसके वह जिले की टॉप टेन सूची में शामिल नहीं था. विकास दुबे और उसके गैंग के ज्यादातर लोग पीस कमेटी में भी शामिल थे. उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य थी और भाई की पत्नी बिकरू गांव की प्रधान थी. ये सभी लोग लखनऊ में रहते हैं. अगर क्षेत्र का कोई व्यक्ति इन लोगों से मदद मांगता तो यह लोग विकास दुबे से ही संपर्क करते थे. विकास दुबे और उसके परिवार के ज्यादातर सदस्यों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं, फिर भी उन्हें शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट जारी करने के अलावा सरकारी राशन की दुकानें आवंटित की गईं.