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- पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा मगही को द्वितीय राजभाषा बनाने के लिए मुख्यमंत्री से करेंगे निवेदन
- नामी गिरामी कवियों ने अपनी कविताओं की दी प्रस्तुति
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बिहारशरीफ (आससे)। विश्व मगही परिषद् के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल के बैनर तले ‘‘पावस के संग मगहियन के उमंग’’ विषयक 37वां वेबिनार के जरिये मगही कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता विश्व मगही परिषद् के अध्यक्ष डॉ भरत सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि परिषद् अपने लक्ष्य की दिशा में सतत गतिशील है। मगध क्षेत्र के राजनेताओं की भी रूचि मगही भाषा को अपना वाजिब हक दिलाने की दिशा में जागने लगी है।
विश्व मगही परिषद् के महासचिव प्रो. नागेंद्र नारायण ने कहा कि मगही कवि सम्मेलन का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन मगही के प्रचार-प्रसार के पक्ष में मील का पत्थर साबित होगा। कवि सम्मेलन का संचालन गीतकार राजकुमार ने किया। मुख्य अतिथियों एवं कवियों का स्वागत डॉ दिलीप कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी संपूर्ण मगध क्षेत्र में इसकी खासियत है। मगही भाषा के प्रति उनका प्रेम प्रशंसनीय है। उन्होंने मगही भाषा को झारखंड प्रदेश की तरह बिहार में भी द्वितीय राजभाषा बनाने की मांग सरकार से की।
मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मगही भाषा साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए विश्व मगही परिषद् की सराहना की और कहा कि मगही हमारी लोकभाषा है। हमारी पहचान है। यह भाषा संस्कृत से भी पुरानी है। उन्होंने मगही के विकास के लिए हरेक स्तर से सहयोग का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर मगही के सम्मान और द्वितीय राजभाषा बनाने के लिए निवेदन करेंगे।
कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि उमेश प्रसाद उमेश, राजेंद्र राज, नरेंद्र प्रसाद सिंह, राजकुमार, महेंद्र प्रसाद देहाती, मणिकांत मणि, संजीव कुमार मुकेश, ओंकार कश्यप, गौतम कुमार सरगम, कवियत्री कुमारी लता प्रसाद और सिंधु कुमारी ने अपनी-अपनी कविताओं की प्रस्तुति की। धन्यवाद ज्ञापन मगही के वरिष्ठ कवि लालमणि विक्रांत ने की।