पटना

बिहारशरीफ: खरीफ मौसम में उर्वरक की कालाबाजारी नहीं हो इसके लिए डीएम गंभीर


आदेश के आलोक में जिला कृषि पदाधिकारी ने प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों को दिया स्टॉक और पॉश मिलान का निर्देश

बिहारशरीफ (आससे)। खरीफ फसल की बुआई के साथ-साथ उर्वरक की आवश्यकता किसानों को पड़ने लगी है। लेकिन खरीफ सीजन में किसानो को उर्वरक कालाबाजारी में ना खरीदना पड़े इसके लिए प्रशासन द्वारा अभी से पहल शुरू कर दी गयी है। जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने जिला कृषि विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी हाल में उर्वरक की कालाबाजारी ना हो और पॉश मशीन से हीं किसानों को उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित कराये और इसमें कोई गड़बड़ी हुई तो संबंधित अधिकारी भी नपेंगे।

डीएम के निर्देश के आलोक में जिला कृषि पदाधिकारी ने प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को एक सप्ताह में खाद विक्रेताओं के स्टॉक और पॉश मशीन में दर्ज खरीद-बिक्री का मिलान कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि अगर गोदाम में रखे उर्वरक पॉश मशीन से मैच नहीं करता है तो संबंधित दुकान की जांच करें। अन्यथा मुख्यालय द्वारा जांच कर कार्रवाई की जायेगी।

बताते चले कि जिले में उर्वरक के खुदरा दुकानों की संख्या 702 है, जबकि 25 थोक उर्वरक विक्रेता है। जिले में अभी 585 पॉश मशीन विभिन्न उर्वरक दुकानों में एक्टिव है जबकि अन्य दुकानदार मोबाइल ऐप के माध्यम से उर्वरक की बिक्री कर रहे है। प्रावधान है कि किसान आधार कार्ड लेकर उर्वरक दुकानदार के यहां जाता है, अंगूठा लगाता है और फिर उसे खाद मिलती है। लेकिन लगातार यह शिकायत मिल रही है कि व्यवसायी कालाबाजारी कर उर्वरक बेच देता है और फिर मशीन में इंट्री नहीं हो पाता है और यही मुख्य वजह है कि पॉश और स्टॉक में मेलजोल नहीं हो पाता।

पिछले दिनों ऐसे ही मामले में जिले के 26 उर्वरक विक्रेताओं का अनुज्ञप्ति रद्द किया गया था। जांच में यह मिला था कि एक-एक किसान के नाम पर 10 से 12 टन तक उर्वरक की बिक्री दिखाई है जबकि उसके पास एकड़ में भी जमीन नहीं है। एक-एक किसान को 90 टन से ऊपर उर्वरक बेचा हुआ पाया गया था। भारत सरकार के कृषि मंत्रलय द्वारा इस अनियमितता को पकड़ा गया था और डिपफ़ॉल्टर उर्वरक विक्रेताओं की सूची जिला कृषि विभाग को भेजी गयी थी। तब जाकर कृषि विभाग की नींद खुली और जांच शुरू की और यह मामला उद्भेदित हुआ।

सच तो यह है कि उर्वरक विक्रेताओं का कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ घालमेल होता है और यही वजह होती है कि उर्वरक की कालाबाजारी होती है। लेकिन इस बार डीएम इस मामले को लेकर गंभीर है। ऐसे में उर्वरक की कालाबाजारी हुई तो निश्चित तौर पर अवैध कारोबारियों की नकेल कस सकती है।