तत्कालीन डीएम द्वारा शिक्षकों के ट्रांसफर पर लगी थी रोक लेकिन उनके हटते ही चोरी-छिपे दर्जन भर से अधिक शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों से हटाकर शहरों में किया गया पदस्थापना
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- एक-एक स्थानांतरण में 50 से 75 हजार रुपये वसूली का लगाया शिक्षकों ने आरोप
- वाजिब कारणों से स्थानांतरण के लिए आवेदन कर रखे शिक्षकों को नहीं किया गया स्थानांतरित
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बिहारशरीफ। जिला प्रशासन डाल-डाल तो शिक्षा विभाग के अधिकारी पात-पात पर चल रहे है। यही वजह है कि नियमों को ताक पर रखकर रोज शिक्षा विभाग में विवादित फैसले लिये जा रहे है। शिक्षा विभाग के अधिकारी महज निजी स्वार्थ में वैसे विद्यालयों में पठन-पाठन बाधित करवा रहे है जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में है। और ऐसे शिक्षकों को पैसे के बल पर शहरी क्षेत्रों में प्रतिनियुक्त कर रहे है।
तत्कालीन जिलाधिकारी ने संज्ञान में आने पर जिले के 11 वैसे शिक्षकों का स्थानांतरण रोक दिया था, जिन्हें ग्रामीण क्षेत्र से शहर या शहर के नजदीकी विद्यालयों में प्रतिनियुक्त किया गया था। इसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इसका अनुमोदन तत्कालीन शिक्षा विभाग के आरडीडी से लेनी चाही थी, लेकिन आरडीडी ने डीएम के आदेश का हवाला देते हुए प्रतिनियुक्ति सूची का अनुमोदन नहीं दिया था।
जिलाधिकारी बदले और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पदस्थापना का खेल शुरू कर दिया। जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) की मिलीभगत ने सुदूर क्षेत्रें में पदस्थापित एक दर्जन से अधिक शिक्षकों को सुदूर क्षेत्र से शहरी या असपास के विद्यालयों में प्रतिनियुक्त कर दिया। किसी को स्वास्थ्य का हवाला देकर तो किसी को अन्य कारण से। पदस्थापना में यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि शिक्षकों के मूल विद्यालय से पदस्थपना के कारण वहां की पढ़ाई बाधित होगी।
सूत्रों का कहना है कि जिलाधिकारी के हटने के बाद नये जिलाधिकारी की पदस्थापना हुई और इसी का नाजायज फायदा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उठायी। मामला औरों के संज्ञान में ना जाय और हंगामा ना हो इसके लिए समय चुना साल का अंतिम सप्ताह। कार्यादेश पंजी में स्थानांतरण की चिट्ठी का पत्रंक, दिनांक चढ़ाकर उस पंजी को हटाया गया। यह खेल 30 दिसंबर को खेला गया ताकि पुरानी पंजी पर किसी की निगाह ना पड़े और फिर नये साल के साथ नया पंजी खोल दिया गया।
लेकिन जिन शिक्षकों का प्रतिनियोजन हुआ वो तो चुप रहे लेकिन कई ऐसे शिक्षक थे जिन्होंने अपने वाजिब कारणों से प्रतिनियुक्ति या प्रतिनियोजन के लिए अभ्यावेदन जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया था, लेकिन ऐसे शिक्षकों द्वारा भेंट नहीं चढ़ाई गयी, जिन्हें ना तो प्रतिनियोजित किया गया और ना हीं प्रतिनियुक्त किया गया। अंततः इन लोगों ने मोर्चा खोल दिया और ऐसे शिक्षकों ने कार्यालय आदेश को वायरल करना शुरू किया। कार्यालय आदेश के अनुसार क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक पटना प्रमंडल के 27 दिसंबर के आदेश के आलोक में राकेश रौशन नामक सहायक शिक्षक को मध्य विद्यालय अस्ता, प्रखंड थरथरी से विशेष परिस्थिति में प्राथमिक विद्यालय बड़ी पहाड़ी, प्रखंड बिहारशरीफ में स्थानांतरित कर पदस्थापित किया गया।
बताया जाता है कि अलग-अलग पत्रांक के जरिये 14 शिक्षकों का स्थानांरिण हुआ और एक स्थानांतरण में 50 हजार से लेकर 75 हजार रुपये तक की वसूली की गायी। आदेश में कहा गया है कि स्थानांतरण आदेश की घटनोत्तर स्वीकृति आगामी शिक्षक स्थापना समिति की बैठक में ले ली जायेगी।