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- आलमगंज में सड़क पर बिक रहा है ईद के लिए कुरता और टोपी
- अधिकांश रेडिमेड दुकानों का आधा शटर खोलकर की जा रही थी कपड़े की बिक्री
- भराव चौराहा से लेकर अंबेदकर चौक तक सड़कों पर लग रही है मंडी तो मोहल्ले के लोग निकल कर रहे हैं टाइमपास
- देवीसराय तथा कारगिल चौराहे से ऑटो सहित विभिन्न गंतव्य स्थानों के लिए खुलती दिखी कई छोटी वाहन और बसों पर भरकर ढोये जा रहे थे लोग
- सड़कों पर सख्ती के लिए तैनात थी पुलिस लेकिन नहीं दिखे कोई थानेदार और ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी
- एतवारी बाजार से लेकर सोहसराय तक खुली दिखी प्रायः सभी तरह की दुकानें
- अंबेर का सब्जी मंडी सोगरा स्कूल में शिफ्ट होने के कारण वहां नहीं दिखा भीड़-भाड़
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बिहारशरीफ (आससे)। कोविड पर प्रभावकारी नियंत्रण के लिए बीते कल यानी 05 मई से लॉकडाउन है। इसके तहत लोगों को सड़कों पर निकलना भी प्रतिबंधित है। हालांकि आवश्यक उपभोक्ता सामग्री खरीदे जाने के लिए दुकानों को खोलने की छूट दी गयी है, लेकिन इसके तहत खाद्य सामग्री, फल-सब्जी, दूध, मवेशी चारा, उससे संबंधित दवा, कृषि संबंधित उर्वरक एवं कीटनाशक आदि दुकानें खोली जानी है वह भी निर्धारित अवधि प्रातः 07 बजे से 11 बजे तक। हालांकि दवा तथा मेडिकल उपकरण से संबंधित दुकानों को पूरा दिन खोलने की छूट है। इसी के तहत आवश्यक सामग्री खरीद के लिए लोगों को प्रातः 07 से 11 बजे के बीच सड़कों पर निकलने की छूट दी गयी है।
इसके बाद दवा और अस्पताल आदि स्थानों पर जाने वाले लोगों को सक्षम कागजात दिखाना होगा। और तो और शहर का आलमगंज इलाका का हाल तो और बुरा था। यहां तो ईद की भी खरीदारी धड़ल्ले से चल रही थी। सड़कों पर स्टॉल लगाकर कुरते और टोपी बेचे जा रहे थे। इसके साथ ही आलमगंज की कई दुकानें खासकर सत्या ड्रेसेज आदि में शटर खोलकर कपड़े की धड़ल्ले से बिक्री हो रही थी। लाउंड्री खुला था। पटाखे बिक रहे थे, पुल चौराहा के इर्द-गिर्द मौरी से लेकर मिट्टी के बर्तन और दूल्हे का सेहरा सड़कों पर बिकता दिखा। वहीं चौराहे पर दूध की आड़ में बुनिया, लड्डू और मिठाई की दुकानें भी खुली दिखी।
इन सब के विपरीत जिला मुख्यालय बिहारशरीफ में गुरुवार को जब सुबह में पड़ताल की गयी तो शहर के कई इलाकों में लॉकडाउन की स्थिति हीं नहीं दिखी। शहर में तीन थाना है बिहारशरीफ, लहेरी और सोहसराय। जबकि कुछ इलाके दीपनगर थाना क्षेत्र में भी आता है, लेकिन सच तो यह थी कि बिहारशरीफ थाना क्षेत्र के अलावे किसी क्षेत्र में भी सुबह 07 से 11 बजे तक लॉकडाउन का नजारा नहीं दिखा। स्थिति यह दिख रही थी कि पूरा शहर सड़कों पर आ चुकी है।
बिहार थाना क्षेत्र के अंबेर चौराहे पर सन्नाटा जरूर था। वजह थी कि सब्जी मंडी को सोगरा स्कूल मैदान में शिफ्रट कर दिया गया था। इस थाना क्षेत्र के थानेदार सुबह-सुबह पुलिस वाहन से यह भी प्रचार करते दिखे कि अनावश्यक घरों से ना निकले, भीड़-भाड़ से बचे अन्यथा पुलिस कार्रवाई करेगी। लेकिन एतवारी बाजार पहुंचते ही नजारा कुछ और दिखा। यहां से लेकर मोगलकुआं होते सोहसराय मोड़ तक की स्थिति एकदम भयावह थी। पूरा शहर आदमी से पटा था। आवश्यक सामग्री के दुकानों के अलावे अन्य तरह की दुकानें भी खुली थी। रेडिमेड की दुकान का आधा शटर खुला था। मिट्टी का बरतन बेचा जा रहा था, खिलौने की भी दुकान खुली थी। इन सब के अलावे और भी कई प्रकार की दुकानें खुली हुई थी और लोग धड़ल्ले से खरीदारी कर रहे थे।
इसी प्रकार जब अस्पताल चौराहा पहुंचा गया तो वहां का भी नजारा कमोबेश यही थी। आसपास की कोल्डड्रिंक से लेकर कई प्रकार की दुकानें खुली थी। पुराना पटना-रांची रोड जो सद्भावना मार्ग के नाम से जाना जाता है की स्थिति तो ओर भी विस्फोटक थी। प्रायः हार्डवेयर और स्पेयर पार्ट्स के दुकानदार आधा शटर खोलकर या फिर मार्केट के अंदर घुसकर सामग्री बेचते दिखे। बैटरी भी बिक रही थी। सेल्फ डायमो भी बन रहा था।
भराव चौराहा की स्थिति तो पूरी तरह भयावह थी। चौराहे के चारो ओर लोगों की भीड़ इस कदर थी कि पैदल चलना मुश्किल था। पूरी सड़क पर सब्जी की दुकानें लगी हुई थी। ठेला और खोमचे में सब्जी और फल बेचे जा रहे थे। हालांकि आगे बढ़ने पर मछली मंडी की स्थिति काफी हद तक शांत थी। वजह यह था कि गुरुवार होने के कारण खरीदारों की भीड़ कम थी और बाजार में मछली भी कम आया था।
मछली मंडी से आगे रामचंद्रपुर की ओर जब बढ़ा गया तो वहां भी नजारा वही था। आसपास के घरों के लोग ना मास्क और ना सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह कर रहे थे, बल्कि सड़कों पर बैठकर गप्पे मार रहे थे। सब्जी के ठेले भरे पड़े थे। इसके अलावे और भी प्रकार की सामग्री बिक रही थी। बाजार समिति में भी अच्छा-खासा भीड़-भाड़ दिखा। हालांकि यहां खरीदार कम थे। घूमने आये लोगों की संख्या अधिक थी।
अंबेदकर चौक यानी देवीसराय चौक की स्थिति और भी भयावह थी। यहां से बसें आ-जा रही थी, जिसपर ना तो एक सीट पर एक व्यक्ति बैठने के नियम का पालन हो रहा था और ना हीं कोई यह चेक करने वाला था कि बगैर रेल और हवाई टिकट के लोग बेवजह बस में सफर कर रहे है। परबलपुर और एकंगरसराय के लिए टेंपो और छोटे वाहन खुल रहे थे। आने-जाने वालों की अच्छी-खासी भीड़ दिखी। राजगीर और नालंदा के लिए भी टेंपो में भर-भर कर लोग ढोये जा रहे थे, लेकिन किसी को ना कोई देखने वाला था और ना कोई रोकने-टोकने वाला। यही स्थिति कमोबेश कारगिल चौक पर था। यहां भी सब्जी खरीदने के नाम पर लोगों की भीड़ थी और यहां से भी ऑटो और टोटो खुल रहा था।
सवाल यह उठता है कि जिस वक्त लोगों को घरों से निकलने और सामग्री बिक्री की छूट है उसी वक्त लोगों को खुली छूट दे दी जाती है, ऐसे में भला संक्रमण पर लगाम कैसे लगेगा। सच तो यह है कि लॉकडाउन के चार घंटे की छूट की अवधि निर्धारित शर्तों के साथ है, लेकिन पुलिस और अधिकारियों की अनदेखी के कारण इस चार घंटे में लोग इस कदर सड़कों पर उतर जा रहे है कि ना मास्क का ख्याल होता है और ना सोशल डिस्टेंसिंग का। स्थिति यही रहती तो शायद लॉकडाउन लगाने के बाद भी संक्रमण पर लगाम लगा पाना मुश्किल भरा होगा।