पटना

बिहारशरीफ: श्रम कल्याण केंद्र मैदान में विकास मेला के नाम पर चल रहा है खेल तमाशा


      • शहरवासियों के खेलने और मॉर्निंग वॉक का था एकमात्र मैदान जिसे प्रशासन ने दे दिया किराये पर
      • विडंबना तो यह कि व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए मंत्री, सांसद और विधान पार्षद ने कर दिया उद्घाटन 

बिहारशरीफ। शहरवासियों को अब मॉर्निंग वॉक में होगी परेशानी। हिरण्य पर्वत के अलावे शहर के लोगों के मॉर्निंग वॉक का एकमात्र सार्वजनिक स्थान है श्रम कल्याण केंद्र मैदान, जिसमें खेल-तमाशे की दुकानें सज गयी है। विकास मेला के नाम पर सरकारी महत्वपूर्ण स्थल को किराये पर दे दिया गया है, जिससे शहरवासियों को ना केवल मॉर्निंग वॉक में परेशानी होगी बल्कि विधि व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

दिलचस्प पहलू तो यह है कि विकास मेले के नाम पर झुला, तमाशा आदि दिखाया जाता है और ऐसे निजी व्यवसायिक मेले का उद्घाटन बिहार सरकार के मंत्री, सांसद और विधान पार्षद ने मिलकर किया। काश उद्घाटन के पहले शहरवासियों का दर्द समझा होता तो शायद कई लोगों का भला होता।

भागदौड़ की जिंदगी में लोगों का दिनचर्या बिगड़ रहा है। डॉक्टरों के यहां लोग दौड़ लगाने से परेशान रहते है। बीपी, सूगर जैसी बीमारी से लोग ग्रसित रह रहे है। ऐसे में प्रायः चिकित्सकों का एक हीं सलाह होता है मॉर्निंग वॉक करें, लेकिन अगर यह स्थिति रही तो लोग मॉर्निंग वॉक करेंगे कहां? शहर में गिने-चुने शैक्षणिक संस्थानों के पास खेल मैदान है, जिसमें नालंदा कॉलेज परिसर में लोगों का प्रवेश निषेध है। इसके अलावे एक सोगरा स्कूल का मैदान है, जहां सुबह सन्नाटा रहता है और ऐसे में लोग यहां मॉर्निंग वॉक को जाना उचित नहीं समझते।

कुल मिलाकर शहर के लोग मॉर्निंग वॉक के लिए हिरण्य पर्वत पर जाते है, लेकिन अधिक उम्र वाले लोग के साथ हीं जिनके पैरों में दर्द होता है, हार्ट पेंशेंट है वैसे लोग समतल मैदान में मॉर्निंग वॉक करना उचित समझते है और यही चिकित्सकों की भी सलाह होती है। कुल मिलाकर ऐसा एक हीं जगह है और वह है श्रम कल्याण केंद्र मैदान।

शहर के हृदय स्थली में बने इस मैदान के आधुनिकीकरण पर स्मार्ट सिटी परियोजना से लगभग एक करोड़ रुपया खर्च हुआ। जहां बच्चों के लिए पार्क, बड़ों के लिए पाथ वे तथा गैलरी का निर्माण किया गया। सुबह बड़े जहां पाथ वे पर मॉर्निंग वॉक करते है, वहीं फील्ड में बच्चे खेलते है। पूरा दिन खेलने और टहलने वालों का रेला लगा रहता है। लेकिन अब लोग फिलहाल यहां ना टहल पायेंगे और ना खेल पायेंगे। वजह यह है कि महज कुछ रुपयों और नेताओं के दबाव में आकर अधिकारियों द्वारा मैदान में मेला लगाने दिया गया है। अनुमंडल पदाधिकारी बिहारशरीफ द्वारा इस संबंध में आदेश निर्गत हुआ है। रविवार को विधिवत इस मेले का उद्घाटन भी हो गया और नाम दिया गया विकास मेला जबकि हकीकत यह है कि यहां कई प्रकार के झूले आदि के साथ हीं मीना बाजार आदि लगाकर लोगों से पैसा वसूलने की तैयारी है।

सूत्रों की मानें तो पिछले दो वर्षों से कोविड के कारण यहां संबंधित एजेंसी को मेला लगाने का मौका नहीं मिला वहीं पूर्व में एजेंसी द्वारा मेला लगाने का सभी तैयारी किया गया था, लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी और अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा मैदान के उपयोगिता और विधि व्यवस्था का हवाला देकर रोका गया था। ऐसा एक-दो बार नहीं कई बार मेला लगाने का प्रयास हुआ लेकिन रूकावट आती रही। बताया जाता है कि एक खास एजेंसी द्वारा पूर्व के वर्षों में यहां मेला लगाया गया था और तब से लगातार निजी स्वार्थ में मेला लगाने का प्रयास चलता रहा था, लेकिन प्रशासन द्वारा लोगों की सुविधा और विधि व्यवस्था को ध्यान में रखकर मेला की इजाजत नहीं मिलती थी लेकिन इस बार लोग इसमें कामयाब हो गये।

बहरहाल जो भी हो लेकिन विकास मेले के नाम पर निजी कमाई के लिए लगाये गये इस मेले से भले हीं एक व्यक्ति को फायदा पहुंच रहा हो लेकिन शहर के हजारों बूढ़े-बुजुर्ग और नौजवानों के अलावे बच्चों को खासी परेशानियां होनी शुरू हो गयी है। दिलचस्प बात तो यह है कि जिस जनता के वोट से लोग विधायक, विधान पार्षद और सांसद चुने जाते है वही लोग व्यक्ति विशेष को लाभ दिलाने के लिए ऐसे स्थानों पर मेला आदि लगाने मे ना केवल मदद कर रहे है बल्कि सार्वजनिक तौर पर फीता काटकर ऐसे लोगों का हौसला बढ़ा रहे है।