बिहार के बक्सर ज़िले के चौसा प्रखंड के चौसा श्मशान घाट पर गंगा में कम से कम 40 लाशें तैरती हुई मिली हैं। स्थानीय प्रशासन ने बीबीसी से बातचीत में इसकी पुष्टि की है, लेकिन स्थानीय पत्रकारों ने दावा किया है कि उन्होंने श्मशान घाट पर इससे ज़्यादा लाशें देखी हैं। स्थानीय स्तर पर जो तस्वीरें आई हैं वो दिल दहला देने वाली हैं। लाशों को जानवर नोचते दिख रहे थे।
चौसा के प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार ने बीबीसी से इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि “30 से 40 की संख्या में लाशें गंगा में मिली हैं। इस बात की संभावना है कि ये लाशें उत्तरप्रदेश से बहकर आई हैं। मैंने घाट पर मौजूद रहने वाले लोगों से बात की है, जिन्होंने बताया कि लाशें यहां की नहीं है।
इस बीच बक्सर ज़िलाधिकारी अमन समीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा है कि हम लोग ज़िलाधिकारी गाजीपुर और बलिया के साथ समन्वय स्थापित कर रहे है ताकि उनके इलाक़े की लाशों का दाह संस्कार वही कर दिया जाए, लेकिन फिर भी कोई लाश बक्सर के इलाक़े में आ जाती है, तो उसका पूरे सम्मान के साथ संस्कार किया जाएगा। “बता दे बक्सर ज़िला, उत्तरप्रदेश और बिहार राज्य का सीमावर्ती ज़िला है। गंगा नदी के किनारे बसे इस ज़िले के उत्तर में यूपी का बलिया ज़िला और पश्चिम में गाजीपुर ज़िला है।
स्थानीय लोगों की अलग राय
लेकिन स्थानीय पत्रकार सत्यप्रकाश प्रशासन के दावे को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। उनके मुताबिक, “अभी गंगा जी के पानी में धार नहीं है। पुरवैया हवा चल रही है, ये पछिया का तो समय नहीं है। ऐसे में लाश बहकर कैसे आ सकती है?”
वो आगे बताते हैं- ” 9 मई को सुबह पहली बार मुझे पता चला, मैंने वहां 100 क़रीब लाशें देखीं। जो 10 मई को बहुत कम हो गईं। दरअसल, बक्सर के चरित्रवन घाट का पौराणिक महत्व है और अभी वहाँ कोरोना के चलते लाशों को जलाने की जगह नहीं मिल रही है, इसलिए लोग लाशों को आठ किलोमीटर दूर चौसा श्मशान घाट ला रहे हैं।
लेकिन इस घाट पर लकड़ी की कोई व्यवस्था नहीं है। नाव का भी परिचालन बंद है, इसलिए लोग लाशों को गंगाजी में ऐसे ही प्रवाहित कर रहे हैं। नाव चलती है तो कई लोग लाश में घड़ा बांधकर गंगा जी की बीच धार में प्रवाहित कर दे रहे हैं।
वहीं घाट पर मौजूद रहने वाले पंडित दीनदयाल पांडे ने स्थानीय पत्रकारों से बातचीत में बताया, “अमूमन इस घाट पर दो से तीन लाशें ही रोज़ाना आती थीं लेकिन इधर बीते 15 दिन से यहां तकरीबन 20 लाशें आती हैं। ये जो शव गंगा जी में तैर रहे हैं, ये संक्रमित लोगों के शव हैं। यहां गंगाजी में बहाने से हम लोग मना करते हैं, लेकिन लोग मानते नहीं हैं। प्रशासन ने यहां चौकीदार लगाया है, लेकिन उनकी कोई बात नहीं सुनता।
लाशों को दफ़ना रहा प्रशासन
वहीं घाट पर रहने वाली अंजोरिया देवी बताती है, “लोगों को मना करते है, लेकिन लोग ये कहकर लड़ते हैं कि तुम्हारे घरवालों ने हमें लकड़ी दी है जो हम लकड़ी लगाकर शव जलाएं” फ़िलहाल बक्सर प्रशासन घाट पर जेसीबी मशीन से गड़ढा खुदवाकर लाशों को दफ़नाने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है।