दिल्ली/पटना। : बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला सा चल पड़ा है। बुधवार को तो सारण व सिवान में एक ही दिन में पांच पुल धराशाई हो गए। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में बिहार सरकार को राज्य के सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग की गई है।
अधिवक्ता ब्रजेश सिंह ने शीर्ष अदालत में यह जनहित याचिका दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने बीते दो साल के अंदर राज्य के 12 पुलों के गिरने का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट से राज्य के पुलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश जारी करने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि पिछले दो साल में बड़े पुलों सहित कई छोटे-मझोले और निर्माणाधीन ब्रिज के गिरने की घटनाएं सामने आई हैं। बिहार एक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है और यहां का 73 प्रतिशत से भी अधिक भू-भाग लगभग हर साल भीषण बाढ़ की चपेट में आता है।
ऐसे में पुलों का इस तरह धराशाई होना चिंताजनक है। याचिका में मांग की गई है कि बिहार में पुलों की सुरक्षा के लिए किसी स्थायी निकाय का गठन किया जाना चाहिए।
महज कुछ दिनों में दर्जनों पुल ध्वस्त
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में बिहार में पुलों के ध्वस्त होने का जैसे कोई सिलसिला-सा चल पड़ा है। 18 जून को अररिया में बकरा नदी पर बना पुल धड़ाम हो गया। 22 जून को सिवान जिले में गंडक नदी पर बना पुल ध्वस्त हो गया। इसके अगले दिन ही 23 जून को पूर्वी चंपारण में पुल ने जलसमाधि ले ली। 27 और 30 जून को किशनगंज में पुल के ध्वस्त होने की घटनाएं होती रहीं।
24 घंटे के अंदर 6 पुल ध्वस्त
तीन जुलाई को तो कुल पांच पुल ढह गए। सारण में दो तो सिवान तीन पुल भरभराकर गिर पड़े। आज भी छपरा में एक पुल ध्वस्त होने की खबर आ रही है। पुलों के धराशाई होने से स्थानीय परेशान हैं। कई जगहों पर दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया है। कहीं पर थोड़ी दूर आने-जाने के लिए भी कई किमी लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है।