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बिहार में शराबबंदी पर गरमाई सियासत, जहरीली शराब से मौतों पर एक्‍शन में CM नीतीश


2020 में देश में कुल 270 किशोर मद्य निषेध कानून की पकड़ में आए। जिसमें बिहार में 74 मध्य प्रदेश में 78 और गुजरात में 89 किशोरों के खिलाफ इस कानून के तहत कार्रवाई हुई। अब देखना होगा कि समीक्षा के बाद इस पर क्या कदम उठाए जाते हैं?

पटना, । बिहार में धनतेरस से लेकर छठपर्व के समापन तक जहां घर-घर में पवित्र उत्सवी माहौल रहा, वहीं कहीं-कहीं रुदन भी उठा। जो जहरीली शराब के सेवन से घर के सदस्य की मौत के कारण था। इसी के साथ एक बार फिर शराबबंदी की समीक्षा को लेकर स्वर तेज हो गए हैं। विपक्षी ही नहीं, सहयोगी दल भाजपा के तेवर भी अब इस मुद्दे पर तल्ख हैं। पिछले 10 दिनों के भीतर 50 से अधिक हुई मौतों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रुख भी अब कड़ा हो चुका है और 16 नवंबर को उन्होंने इसकी समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि नीतीश इस बैठक में शराबबंदी पर कुछ कड़े फैसले ले सकते हैं।

बिहार में शराबबंदी विधिवत पांच अप्रैल, 2016 को लागू की गई थी। लेकिन उसके बावजूद शराब बिकनी बंद नहीं हुई। पड़ोसी राज्यों से सप्लाई जारी है, जो सेवन करने वालों को अधिक दाम पर आसानी से उपलब्ध हो रही है। शराबबंदी के बाद अवैध रूप से पनपे इस धंधे को रोकने के हरसंभव प्रयास किए जाने के बावजूद इस पर रोक नहीं लग सकी। आए दिन शराब की जब्ती इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश में शराब आ रही है। बंदी के बाद से अब तक 187 लाख लीटर से अधिक की बरामदगी इसका प्रमाण है। कार्रवाई भी हुई है, अब तक तीन लाख से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए हैं और 700 से अधिक पुलिस व उत्पादकर्मी भी निपटे हैं। सख्ती का नतीजा यह रहा कि अवैध भट्ठियां पनपीं और जहरीली शराब से मौतें भी होने लगीं। पिछले दस दिनों में ही मुजफ्फरपुर, बेतिया, गोपालगंज व समस्तीपुर में ही लगभग 50 लोगों की मौत हो गई। यह पहली बार नहीं हुआ है। इन मौतों के बाद एक बार फिर प्रदेश में शराबबंदी की नए सिरे से समीक्षा करने की मांग उठने लगी है।