Latest News नयी दिल्ली राष्ट्रीय

बीजेपी के ओबीसी कार्ड को काउंटर करने की तैयारी,


  • लखनऊ,: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिए काफी अहम साबित होने वाला है। चुनाव में ओबीसी वोटरों को लुभाने में जुटी बीजेपी को घेरने में अब विपक्ष भी पूरी तरह से जुट गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की जातीय जनगणना का मुद्दा भाजपा की लिए गले की फांस बन सकता है। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव में अभी सात महीने बचा है और भाजपा इसे अभी ठंडे बस्ते में ही रखना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो भाजपा के ओबीसी कार्ड के काउंटर के तौर पर दूसरे दलों ने जातीय जनगणना का शिगूफा छोड़ा है। भाजपा की रणनीति यही होगी कि अभी इस मुद्दे को जितना लंबा हो सके खींचा जाए।

जातीय जनगणना की मांग बहुत पुरानी है। 2011 में हुई जनगणना के बाद उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई थी। जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर ही रोहिणी कमीशन का गठन किया गया था। लेकिन इस समिति का कार्यकाल 9 बार बढ़ाया जा चुका है। उत्तर प्रदेश की जाति आधारित पार्टियां रोहिणी कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने का दबाव बनाती रही हैं। खासतौर पर उत्तर प्रदेश की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी समेत कई छोटे दल इस मामले को काफी समय से उठा रहे हैं।

मोदी के ओबीसी कार्ड का जवाब है विपक्ष की जातीय जनगणना

दरअसल चुनावी लिहाज से जातीय जनगणना का मुद्दा विपक्ष को सूट कर रहा है। इस मामले को लेकर बिहार के एक प्रतिनिधिमंडल ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी। और जातीय जनगणना के मुद्दे को उठाया था। हालाकि पीएम ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। लेकिन बिहार से सटे यूपी में नीतिश के इस कदम की आहट सुनाई दे रही है। लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रही छोटी छोटी पार्टिंयां भी अब सक्रिय हो गई हैं और इस मांग को और तेज करने की बात कह रही हैं।

अपनी मांग को लेकर सुभासपा के सुभाषपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने कहा,

”हमारी पार्टी तो लंबे समय से मांग कर रही है की सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के साथ ही रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया जाय लेकिन सरकार जानबूझकर उसे लागू नहीं करना चाहती है। भाजपा सरकार को जातीय जनगणना करानी चाहिए ताकि उन जातियों को भी प्रतिनिधित्व मिल सके जिनके लिए आजादी के बाद से ही कुछ नहीं हुआ है।”

बीजेपी के जातीय समीकरण में सेंधमारी करने की कोशिश

भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में पूरी तरह से जातीय समीकरण के फार्मूले पर ही आगे बढ़ रही है। संगठन हो या सरकार भाजपा हर जगह जातीय गोटी फिट करने की कोशिश करती है। बीजेपी की प्लानिंग जातीय समीकरण में उन जातियों को तरजीह देने की है जिनकी अब तक उपेक्षा होती रही है। इसी प्लान पर काम करते हुए बीजेपी ने ओबीसी में गैर यादव जातियों को साधने की कोशिश की है। यादव के अलावा जो छोटी छोटी उप जातियां हैं उनको आगे लाना और उनको संगठन और सरकार में शामिल करना है। इस तरह से भाजपा उन जातियों को अपने लिए वोट बैंक में तब्दील करती है। अब यही बात विरोधियों को खटक रही है उन्हे लगता है कि जातीय जनगणना का मुद्दा सामने लाकर बीजेपी को घेरा जा सकता है।