पटना

बेगूसराय: जिले में एक ऐसा विद्यालय जहाँ एक भी छात्र नामांकित नही, लेकिन दो शिक्षक नियुक्त


बेगूसराय (आससे)। विद्यालय के पास ना तो अपनी जमीन है और ना ही कमरा फिर भी उठाते हैं ग्रांट की राशि। निकट के विद्यालय में उन्हें करना था समाजन और शिक्षकों को स्थान्तरित करना था किसी अन्य विद्यालय में। लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्य नहीं होना विभाग की उदासीनता को दर्शाता है।

जिले में लगभग 115 विद्यालय हैं जो विद्यालय के विकास मद की राशि तो उठाते हैं, लेकिन उनके पास एक भी कमरे नहीं है। जिले में कई विद्यालय तो शिफ्ट हो गए लेकिन शिक्षक का स्थानांतर अभी तक नहीं हो सका है। ये शिक्षक कब आते हैं और कब जाते  हैं और कहां हाजरी बनाते हैं इसका कोई लेखा जोखा नहीं है। इतना ही नहीं कई स्कूलों में बच्चे भी नहीं है, लेकिन उस स्कूल के नाम पर शिक्षक की बहाली हो रखी है।

मालूम हो कि निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने पांच नवम्बर को निर्देश दिया था। कि दो या दो से अधिक विद्यालय जो एक ही विद्यालय के भवन में संचालित हैं। उन्हें एक विद्यालय में सामंजित कर अतिरिक्त शिक्षकों को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया जाए।

हालांकि डीपीओ स्थापना सुमन शर्मा ने इस संबंध में बैठक भी की। साथ ही दो फरवरी को इस संबंध में पत्र निकाला था। जिसमें उन्होनें कहा था कि वैसे दो या दो अधिक विद्यालय जो एक ही विद्यालय भवन में संचालित है। उन्हें एक विद्यालय मे समांजित कर अतिरिक्त शिक्षकों की अन्यत्र स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। उन्होनें बीईओ को कहा है कि उक्त मामले में प्रतिवेदन नहीं मिला है जो खेद का विषय है। साथ ही 24 घंटा के अंदर प्रतिवेदन जमा करने को कहा था।

ज्ञात हो कि स्कूलों को बच्चों के हिसाब से विभाग द्वारा स्वच्छता, साफ-सफाई, रंग-रोगन सहित अन्य खर्चे के लिए अधिकतम एक लाख तक का आवंटन विभाग से मिलता है। लेकिन जिले में ऐसे कई प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनके पास अपना भवन नहीं होने के कारण वे दूसरे स्कूल में शिफ्ट हो गए हैं। जहां सारा खर्च उस विद्यालय के द्वारा वहन किया जाता है विभाग के कर्मी की मिलीभगत से ग्रांट की राशि उठा लेते हैं ना तो विभाग को इससे कुछ लेना देना है और ना ही इस ओर देखना चाहती है विभाग से राशि ली जा रही है।

जबकि विभाग ने कई बार इस संदर्भ में पत्र भी निकाल चुकी है इसके बावजूद इस फाइल पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं ना तो शिक्षकों का अन्यत्र विद्यालय में स्थानांतरित किया जा रहा है बल्कि उन्हें मानो विभाग ने छूट दे रखी है। वहीं जिले के एक ऐसे भी विद्यालय हैं जहां आज तक के तारीख में एक भी छात्रों का नामांकन नहीं हो पाया है

बीहट के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय दास टोला पूरे जिले में ऐसा विद्यालय है। जहां एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हो सका। यह वही प्राथमिक विद्यालय है, जहां पिछले साल भी एक भी बच्चा नमांकित नहीं था। अब जब शिक्षा विभाग को नमांकन अभियान की रिपोर्ट भेजनी है ऐसे में केवल एक विद्यालय में एक भी नामांकन नहीं होने की रिपोर्ट भेजना अधिकारियों के लिए सिर दर्द बन गया है। जबकि नामांकन को लेकर अभियान चलाए गए लेकिन उक्त विद्यालय में एक भी नामांकन नहीं हो पाया  आखिरकार इन दोनों शिक्षकों को कौन बचा रहे हैं?