पटना

बेगूसराय: शिक्षा विभाग के लिए कामधेनु बने फर्जी शिक्षक


बेगूसराय  (आससे)। कहीं पत्नी से 20 वर्ष छोटा पति तो कहीं बेटी से छह माह की बड़ी मां तो कहीं मुखिया जी की शाली, मुखिया जी के भाई तो इस नियोजन में पंचायत सचिव भी पीछे नहीं रहे और अपनी बेटी की बहाली नियम को ताक पर रखकर कर ली गई। वहीं अपीलीय प्राधिकार से केस हारने के बाद भी धौबौली पंचायत के शिक्षक वेतन उठा रहे है। इसी तरह की कई कारनामे पंचायत नियोजन इकाई के सामने आ रहे हैं।

वही कुछ ऐसी भी पंचायतें हैं जहाँ लिखित परीक्षा का आयोजन कर ढोंग रचा गया। लेकिन बहाली उसी का हुआ जिसका सेटिंग्स था। इस तरह का नंगा नृत्य धड़ल्ले से कई पंचायत में शिक्षक नियोजन में किया गया था। वह इस बात का सबूत बनता जा रहा है कि मेरिट लिस्ट विभाग को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। यही नहीं इस कारनामे में पंचायत नियोजन के सचिव भी सक्रिय रहे जिसके एवज में अपनी पुत्री की बहाली शिक्षिका के पद पर करवाए। यह कारनामा जिले के कई पंचायतों में है।

अगर शिक्षा विभाग इसकी तह तक जाए तो कई मामले परत दर परत खुलती नजर आएगी। यही वजह है कि विजिलेंस की टीम जो जांच करवा रही थी और सभी पंचायत नियोजन इकाई से मेधा सूची की मांग की गई। लेकिन मेधा सूची उपलब्ध नहीं करवाई गई। वही कुछ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और बीआरपी की भी मिलीभगत से उन फर्जी शिक्षकों का वेतन रिलीज होता रहा।

मानो फर्जी शिक्षक कामधेनु गाय बन गए हों। जिस समय चाहो उसका दोहन कर लो। लेकिन प्रधान सचिव के पत्र के निकलते ही सभी पंचायत नियोजन इकाई में खलबली मची हुई है। बताते चलें कि आज जो बिहार में शिक्षा का स्तर गिरा है तो इसके पीछे फर्जी शिक्षकों की बहाली जिम्मेदार है। वहीं योग्यता प्राप्त व्यक्ति सड़क पर टपले खा रहे। तो वही फर्जी टीईटी और शैक्षिक प्रमाण पत्र खरीद कर फर्जी तरीके से बाहल हो गए। कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें आवेदन पत्र तक लिखने नहीं आता है तो भला छात्रों को क्या पढ़ाएंगे।

बताते चलें कि लाखों पंचायत में 32 सीटों पर बहाली हुई थी जिसको लेकर कई विवाद 2006 में हुई थी जिस पर आरोप लगाया गया था कि सही तरीके से बाहर ही नहीं की गई है और मेधा सूची के साथ छेड़छाड़ किया गया है। इस बात का पुख्ता सबूत तब सामने आई जब लाखों पंचायत नियोजन इकाई के द्वारा मेरिट लिस्ट विजिलेंस को उपलब्ध नहीं करवाई गई। इसी मामले को लेकर लाखों पंचायत से संबंधित थाने में कांड संख्या 117/ 2016 दर्ज करवाई गई थी। जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि मेरिट लिस्ट विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया है।

वहीं उत्क्रमित मध्य विद्यालय कालीघाट अयोध्या बाड़ी के मोहम्मद अली इमाम, प्राथमिक विद्यालय मझलापुर के बलवीर कुमार, तो वहीं प्राथमिक विद्यालय राजा डुमरी के किरण कुमारी का भी मेधा सूची विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया है। वहीं कुछ और शिक्षक है जिनका मेधा सूची ही लापता है। डंडारी प्रखंड के महिपाल टोल पंचायत के 53 शिक्षकों का भी मेधा सूची उपलब्ध नहीं कराया गया।

बताते चलें कि सदर प्रखंड के 113, बलिया प्रखंड के 76, गढ़पुरा प्रखंड के 8, बखरी प्रखंड के 132, बरौनी प्रखंड के 55, तेघरा प्रखंड के 100 शिक्षकों की पूर्ण दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने के कारण एनआईसी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। जिले के दर्जनों ऐसे पंचायत हैं जहां मेधा सूची के साथ छेड़छाड़ किया गया है। बहाली के समय कुछ और प्रमाण पत्र लिया गया तो वहीं बाद में उस प्रमाण पत्र को बदल दिया गया।

बिहार सरकार ने पंचायत को अधिकार दिया कि शिक्षकों का नियोजन करें तो वहीं इसका लाभ उठाते हुए पंचायत के मुखिया जी ने सारे नियम को ताक पर रखकर फर्जी शिक्षकों की बहाली करने से बाज नहीं आए। सभी बहाली 2006 में हुआ था। फिलहाल यह एक जांच का विषय है जो आने वाले समय में परत दर परत खुल जाएगी।