कोलकाता। लोकसभा चुनाव के पहले से बंगाल का संदेशखाली प्रकरण सुर्खियों में है। हाल में संदेशखाली पर प्रसारित वीडियो को लेकर बंगाल की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। टीएमसी ने लगातार दो वीडियो प्रसारित कर यह साबित करने की कोशिश की है कि संदेशखाली मुद्दा एक साजिश था।
वीडियो में बताया गया है कि टीएमसी नेताओं के खिलाफ आरोप लगाने के लिए महिलाओं को पैसे दिए गए थे। वहीं भाजपा का कहना है कि चुनाव में हार के डर से तृणमूल फर्जी वीडियो प्रसारित कर रही है।
दरअसल संदेशखाली व इसके आसपास के इलाकों में तृणमूल नेताओं द्वारा महिलाओं के यौन शोषण तथा लोगों की जमीन हड़पने की घटनाओं के खिलाफ हुए जोरदार विरोध-प्रदर्शन को भाजपा ने राजनीतिक धार दी थी। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक डा. बिश्वनाथ चक्रवर्ती का मानना है कि संदेशखाली मुद्दे को उछालना दरअसल भाजपा की हिंदू वोटरों को अपनी ओर खींचने की रणनीति थी।
भाजपा की उम्मीदवार बनाया जाना पार्टी की रणनीति थी
संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्र को बशीरहाट से भाजपा की उम्मीदवार बनाया जाना पार्टी की रणनीति थी। रेखा पात्र महिलाओं के आंदोलन का चेहरा थीं। चक्रवर्ती का कहना है कि तृणमूल ने वीडियो जारी कर भाजपा के इस हथियार को कुंद करने का प्रयास किया है। उनका मानना है कि स्थानीय स्तर पर वीडियो प्रकरण का प्रभाव पड़ेगा।
तृणमूल कांग्रेस ने दो वीडियो किया प्रसारित
पिछले कुछ दिनों में तृणमूल कांग्रेस ने दो वीडियो प्रसारित किया है। इसमें संदेशखाली में भाजपा के मंडल-2 अध्यक्ष होने का दावा करने वाले गंगाधार कयाल को यह कहते देखा जा रहा है कि संदेशखाली की साजिश के पीछे बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी का हाथ है।
महिलाओं पर अत्याचार के आरोप झूठे और मनगढ़ंत
महिलाओं पर अत्याचार के आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं। रुपये लेकर इसकी साजिश रची गई थी। दैनिक जागरण ने इन वीडियो की प्रामाणिकता की जांच नहीं की है। वीडियो के सामने आने के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर तृणमूल के अन्य नेताओं ने दावा किया कि यह प्रकरण लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल को बदनाम करने की भाजपा की सोची-समझी साजिश थी। वहीं भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि यह वीडियो तृणमूल का नाटक है। चुनाव में हार के डर से यह हथकंडा अपनाया गया है।