कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुक्रवार को अपने सौवें दिन में प्रवेश कर गई। पार्टी पर करीबी नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पुनरुद्धार की राह पर चल रही कांग्रेस को कई ऐसे सवालों के जवाब मिल गए हैं, जिनकी उसे लंबे समय से तलाश थी। हालांकि, सवाल बरकरार है कि क्या यह यात्रा चुनावी फायदा दिलाने में सफल होगी? कन्याकुमारी से कश्मीर तक चलने वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पिछले तीन महीनों में कई विवादों का कारण भी बनी है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी जुबानी जंग भी देखने को मिली है, जिसमें राहुल गांधी की दाढ़ी और बरबेरी टी-शर्ट पर तंज कसा जाना भी शामिल है। अब तक 2,800 किलोमीटर से अधिक पदयात्रा कर चुके राहुल अपने समर्थकों के साथ-साथ विरोधियों का भी ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं।
फिल्मी सितारों से लेकर अकादमिक विशेषज्ञों तक, विभिन्न क्षेत्रों की दिग्गज हस्तियां भी समय-समय पर उनके साथ कदमताल करती नजर आई हैं। हालांकि, कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा के लिए कांग्रेस के पास अधिक ठोस राजनीतिक उद्देश्य होने चाहिए थे। उन्होंने गुजरात और हिमाचल प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों को छोड़ने के पार्टी के कदम पर सवाल भी उठाए हैं। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के चुनावी फायदे में तब्दील होने से जुड़े सवालों के बीच कांग्रेस के लिए हाल ही में संपन्न दो राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे मिश्रित रहे। हिमाचल में जहां पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया, वहीं गुजरात में सीट संख्या के लिहाज से वह अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, पार्टी की चुनावी किस्मत पर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के असर की स्पष्ट तस्वीर अगले साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों से सामने आएगी, जहां पदयात्रा व्यापक पैमाने पर गुजरी। कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पार्टी के लिए लंबी अवधि में ‘गेम-चेंजर’ (खेल का रुख बदलने वाला कारक) साबित हो सकती है।
झा पार्टी के प्रवक्ता भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा, “पहली बात, इस यात्रा ने राहुल गांधी के राजनीतिक ब्रांड का पुनरुद्धार किया है। भाजपा अब अपने ‘दुर्भावनापूर्ण फेक न्यूज अभियान’ का इस्तेमाल कर उनका मजाक नहीं उड़ा सकेगी। दूसरी बात, कांग्रेस आखिरकार इस जन आंदोलन के जरिये जनता से सीधे जुड़ पाई है।” झा ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस इस यात्रा के जरिये जमीनी स्तर पर पैठ बनाने में सफल रहेगी और पार्टी के लिए जोश से भरे अपने कार्यकर्ताओं के जरिये लोगों को जोड़े रखना बेहद अहम है। उन्होंने कहा, “हिमाचल चुनाव के नतीजों ने साबित किया है कि कांग्रेस अगर जीत के प्रति ललक दिखाए तो उसमें आज भी भाजपा के खिलाफ विजय हासिल करने का दमखम है। अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का चुनावी असर अधिक देखने को मिलेगा।”
भारत जोड़ो यात्रा’ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने में सफल रही है, इस बात को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है, लेकिन कई लोगों का कहना है कि यात्रा का असल असर चुनावी नतीजों से सामने आएगा। राजनीतिक टिप्पणीकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में प्रोफेसर संजय पांडे ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने कांग्रेस में ‘उम्मीद की किरण’ जगाई है और पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश पैदा किया है, लेकिन इसका प्रभाव चुनावी फायदे में तब्दील होगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा। दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर सुशीला रामास्वामी का मानना है कि यात्रा को शुरुआती दौर में ज्यादा ठोस राजनीतिक उद्देश्य निर्धारित करने चाहिए थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनावी राजनीति बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि एक राजनीतिक दल को क्या करना चाहिए। रामास्वामी ने यात्रा के गुजरात और हिमाचल जैसे चुनावी राज्यों से न गुजरने के कदम पर सवाल उठाए।
‘भारत जोड़ो यात्रा’ अब तक आठ राज्यों-तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से गुजर चुकी है। यह यात्रा 24 दिसंबर को दिल्ली में दाखिल होगी और फिर लगभग आठ दिनों के विश्राम के बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से गुजरते हुए जम्मू-कश्मीर में समाप्त होगी। यात्रा में समाज के अलग-अलग तबके के लोगों ने हिस्सा लिया है, जिनमें पूजा भट्ट, रिया सेन, सुशांत सिंह, स्वरा भास्कर, रश्मि देसाई, आकांक्षा पुरी और अमोल पालेकर जैसी फिल्मी और टीवी जगत की हस्तियां शामिल हैं।
मायानगरी की विभिन्न हस्तियों के अलावा पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास, शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जैसे कई दिग्गज भी समय-समय पर राहुल गांधी के साथ कदमताल करते नजर आए हैं। हालांकि, इस यात्रा का विवादों से भी नाता रहा है। भाजपा ने तमिलनाडु में कथित तौर पर 41,000 रुपये की बरबेरी टी-शर्ट पहनने के लिए राहुल पर निशाना साधा था, जिसके जवाब में विपक्षी दल ने ‘10 लाख का सूट’ वाले बयान के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था। यह कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग की शुरुआत भर थी। बाद में कांग्रेस ने जलते खाकी पैंट की तस्वीर ट्वीट की। वहीं, भाजपा ने एक विवादित ईसाई पादरी से राहुल गांधी की मुलाकात से संबंधित वीडियो को लेकर तंज कसा।
राहुल की दाढ़ी को लेकर भी दोनों दलों में वार-पलटवार देखने को मिला। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने गुजरात में आयोजित एक चुनावी रैली में दावा किया कि राहुल गांधी इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन की तरह दिखने लगे हैं। जवाब में कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह एक ‘ट्रोलर’ के जैसे प्रतीत होते हैं। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कई बार ऐसा भी हुआ है, जब पार्टी पर संकट के बादल छाए हैं। यात्रा के महाराष्ट्र चरण में कांग्रेस और उसके वैचारिक रूप से असंगत सहयोगी शिवसेना के बीच तब दरार देखने को मिली थी, जब राहुल गांधी ने हिंदुत्व विचारक वी डी सावरकर पर अंग्रेजों के समक्ष दायर उनकी दया याचिकाओं को लेकर निशाना साधा था।
मध्य प्रदेश चरण के दौरान ही कांग्रेस की राजस्थान इकाई में उस समय विवाद खड़ा हो गया, जब एक साक्षात्कार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को ‘गद्दार’ कहा था। राजस्थान ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का अगला पड़ाव था। हालांकि, पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल की मध्यस्थता से यात्रा के राजस्थान में प्रवेश करने से ऐन पहले मामला शांत हुआ। कांग्रेस के ‘आखिरी दांव के रूप में’ यह यात्रा चुनावी फायदे में तब्दील होगी या नहीं, इसे लेकर स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी के यात्री इस मंत्र में यकीन रखते हैं कि कारवां बढ़ते रहना चाहिए।