- कांग्रेस की टूलकिट को लेकर संबित पात्रा के ट्वीट पर ट्विटर के मेनुपुटेड फ्लैग करने के बाद अब केंद्र सरकार का रुख और ज्यादा कड़ा होता जा रहा है.
नई दिल्ली: टूलकिट मामले से शुरू हुआ विवाद अब ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट के भारतीय कानून के पालन और उनके कार्यान्वयन पर आकर टिक गया है. आईटी मिनिस्ट्री के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इन कंपनियों को भारतीय कानून का पालन करना ही होगा.
कांग्रेस की टूलकिट को लेकर संबित पात्रा के ट्वीट पर ट्विटर के मेनुपुटेड फ्लैग करने के बाद अब केंद्र सरकार का रुख और ज्यादा कड़ा होता जा रहा है. आईटी मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि फरवरी महीने में तमाम सोशल मीडिया साइट के लिए जो नियम बनाए गए थे, उन्हें लागू करने के लिए ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे तमाम सोशल मीडिया साइट्स को 3 महीने का वक्त दिया गया था. 26 मई को उसकी समय सीमा समाप्त हो रही है.
फेसबुक की तरफ से बाकायदा बयान जारी कर कहा गया है, “हमारा उद्देश्य 80 नियमों के प्रावधानों का पालन करना है और कुछ ऐसे मुद्दों पर चर्चा जारी रखना है, जिनके लिए सरकार के साथ ज्यादा गहराई से काम करने की आवश्यकता है. आईटी नियमों के अनुसार हम परिचालन और प्रक्रियाओं को लागू करने और अपनी दक्षता में सुधार करने के लिए काम कर रहे हैं. फेसबुक अपने मंच पर स्वतंत्र रूप से और सुरक्षित रूप से खुद को व्यक्त करने की लोगों की क्षमता के लिए प्रति प्रतिबद्ध हैं.”
हालांकि अभी तक इस मामले में ट्विटर की तरफ से कोई भी बयान या जवाब आईटी मंत्रालय को नहीं भेजा गया है.
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया:-
1. ट्विटर और सोशल मीडिया साइट्स को वे एक और ईस्ट इंडिया कंपनी नहीं बनने देंगे. भारत में रहकर वे व्यापार करने के लिए स्वतंत्र हैं और लाभ कमाने के लिए भी स्वतंत्र हैं, लेकिन अमेरिकी कानून वे भारत में नहीं चला सकते.
2. सरकार ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया साइट्स को भारतीय नियमों को लागू करने के लिए पर्याप्त समय दिया है, अगर वह समय सीमा के भीतर नोडल ऑफिसर चीफ कंप्लायंस ऑफीसर और स्थानीय शिकायत अधिकारी नहीं नियुक्त करते हैं, तो आईटी कानून के तहत सरकार ट्विटर पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.
3. टि्वटर और अन्य सोशल मीडिया साइट विचारों को व्यक्त करने का एक प्लेटफार्म है और माध्यम भर है. ऐसे में ट्विटर अपने विचारों और निष्कर्षों को किसी भी विचार पर थोप नहीं सकता है.
4. अगर ट्विटर और सोशल मीडिया साइट पर अपने विचार और निष्कर्षों को उसके माध्यम को इस्तेमाल करने वाले उपयोगकर्ताओं पर थोपता है तो ऐसे में वह आईटी की धारा 29 के तहत मिलने वाली तमाम छूट का लाभ नहीं उठा सकता है.
5. ट्विटर या फिर कोई भी अन्य सोशल मीडिया साइट अपने विचार और निष्कर्ष, अगर अपने उपयोगकर्ताओं पर थोपता है तब फिर वह अवमानना और हर्जाने, जिसकी छूट आईटी की धारा 29 केतहत इन साइट्स को मिली हुई है, उससे बाहर हो जाएग़े.
6. ट्विटर और तमाम सोशल मीडिया साइट्स को समान रूप से लागू वेरीफिकेशन सिस्टम भी लागू करना होगा.
7. ट्विटर को यह बताना होगा कि जब भारतीय कानून के मुताबिक किसी शिकायत पर जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं तब वे उन जांच एजेंसियों की जांच को प्रभावित करने के लिए कैसे निष्कर्ष पर पहुंचा ?
8. ट्विटर और तमाम सोशल मीडिया साइट्स को भारत में रहकर भारत के नियम और कानून का पालन करना होगा भले ही उनके मुख्यालय दुनिया के किसी भी देश में स्थित क्यों ना हो.