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मंकीपाक्स के बढ़ते मामलों से HIV का खतरा नहीं,


नई दिल्ली, : देश और दुनिया में तेजी से पांव पसार रहे मंकीपॉक्स वायरस को लेकर सोमवार को एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, चारों तरफ चर्चा थी कि मंकीपॉक्स वायरस से एचआईवी का खतरा है। लेकिन मंकीपाक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा किया है कि इससे एचआईवी का खतरा नहीं है।

वैज्ञानिकों का दावा है कि स्पाइक से एचआईवी नहीं होगा। दरअसल, मंकीपाक्स रोगियों की क्षमता और सीरोलाजिकल निगरानी विषय पर एक महत्वपूर्ण चर्चा चल रही थी। हालांकि इसकी जांच के लिए एलिसा परख विकसित करने की बात कही गई है। हालांकि इससे पहले एम्स के चिकित्सकों ने दावा किया था कि मंकीपाक्स के मामले समलैगिंग पुरुषों में आ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि मंकीपाक्स वायरस के फैलने के तौर तरीके कुछ अलग भी हैं।

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स

  • मंकीपाक्स, मानव मंकीपाक्स वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी है, जो चेचक ( Smallpox) के समान वायरस परिवार से आती है।
  • वास्तव में, इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं और इसमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, ठंड के लक्षण (जैसे खांसी या गले में खराश) शामिल हैं।
  • लक्षण चेहरे, जननांगों, छाती, पीठ और हाथों व पैरों पर फफोले में दिखाई देने वाले दाने के साथ भी होते हैं।
  • कुछ लोगों को मुंह में या नीचे के अंदर भी बहुत दर्दनाक घावों का अनुभव होता है।
  • ज्यादातर लोग आमतौर पर दो से तीन सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं।
  • मंकीपाक्स संक्रमित व्यक्ति के निकट शारीरिक संपर्क से फैलता है।
  • आमतौर पर इसका मतलब है त्वचा से त्वचा का संपर्क, विशेष रूप से बीमारी के कारण होने वाले चकत्ते और त्वचा के घावों के संपर्क में आना, लेकिन यह खांसने और छींकने से भी फैल सकता है।
  • यह संक्रमित व्यक्ति के घावों के संपर्क में आने वाली चादर, तौलिये या अन्य कपड़ों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
  • हम जानते हैं कि वायरस सतहों पर लंबे समय तक बना रह सकता है, कभी-कभी तो कई हफ्तों तक।
  • अध्ययन के अनुसार, अब तक 95 प्रतिशत मंकीपॉक्स संक्रमण यौन संपर्क के परिणामस्वरूप फैले थे।
  • अध्ययन में शामिल लगभग 95 प्रतिशत लोगों में दाने थे, जो ज्यादातर जननांगों पर थे।
  • लगभग 41 प्रतिशत को शरीर के अंदर (गुदा या मुंह सहित) घाव थे।

वीर्य में पाया गया मंकीपाक्स

शोध से यह भी पता चला कि वीर्य के 90 प्रतिशत से अधिक नमूनों में मंकीपाक्स वायरस पाया गया था। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि वीर्य में वायरस संक्रामक है या नहीं। इसका मतलब यह है कि यह संक्रमित व्यक्ति के साथ किसी भी करीबी व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से घरों में फैल सकता है- न कि केवल यौन अंतरंगता के परिणामस्वरूप।