(ऋषिकेश पाण्डेय)
मऊ। करणी सेना भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरू सिंह द्वारा जिलाधिकारी आवास में घुसकर कार्यकर्ताओं को 24 घंटे में रिहा न करने पर ऐसे आंदोलन की चेतावनी देना,जिसकी जिला प्रशासन ने कल्पना भी नहीं की होगी का असर यह हुआ कि गुरुवार को उस युवा जिलाध्यक्ष को रिहा कर दिया गया,जिन्हें एक जून को जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल के चैम्बर में सैकड़ों कार्यकर्ताओं संग घुसने के आरोप में मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष सहित गिरफ्तार कर चौदह दिनों के लिए जेल भेज दिया गया था।जिसके विरोध में राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरू सिंह ने अनगिनत बार जिलाधिकारी को फोन किया और बात न होने पर बुधवार को मऊ पहुंचे और जिलाधिकारी आवास में घुसकर हेकङी दिखाते हुए गिरफ्तार मंडल अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह परिहार,जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह परिहार उर्फ सोनू सिंह और युवा जिलाध्यक्ष सत्य प्रकाश सिंह को 24 घंटे में रिहा न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी।हालांकि प्रशासन ने गिरफ्तार तीनों नेताओं में से सिर्फ सत्यप्रकाश सिंह को ही आज रिहा करने का आदेश दिया।जिनके बहन की चार जून को शादी है और 31मई को प्रशासन ने उनके घर को पोखरी में बने होने के आरोप में ध्वस्त कर दिया था।जिसके विरोध में करणी सेना भारत के कार्यकर्ताओं ने मंडल अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह परिहार और जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह परिहार उर्फ सोनू सिंह के नेतृत्व में एक जून को जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल के चैम्बर में घुसने की कोशिश की थी।कार्यकर्ताओं का आरोप था कि सरायलखंसी थाना क्षेत्र के किन्नूपुर निवासी करणी सेना भारत के युवा जिलाध्यक्ष सत्य प्रकाश सिंह के बहन की चार जून को शादी थी।चार दिन की मोहलत मांगने की गुहार को दरकिनार कर प्रशासन ने मनमाने ढंग से उनके घर को ध्वस्त कर दिया और जिलाधिकारी ने उनसे काफी प्रयास के बाद भी मिलना गंवारा नहीं समझा।बहरहाल,इस घटनाक्रम से जनपद की स्थिति असामान्य हो गयी और माहौल गरमाने लगा।जिला प्रशासन ने गुरुवार को काफी सूझ-बूझ का परिचय देते हुए जहां “राजनीति” को “राजनीति” से निपटा दिया।वहीं,लोहे से लोहे को काटने का काम किया है।अब देखना यह है कि जिन कार्यकर्ताओं ने अपने एक कार्यकर्ता के लिए जान की बाजी लगा दी।उस कार्यकर्ता को तो जिला प्रशासन ने छोड़वा दिया।लेकिन,नेतागिरी करने वाले नेताओं को चौदह दिनों के लिए जेल में लटका दिया।जिला प्रशासन की यह “राजनीति” कितना कारगर होगी?यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।लेकिन,फिलहाल दोनों पक्षों में इस मामले को लेकर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।आने वाले समय में यह मामला तूल पकड़ेगा या जिला प्रशासन अपनी “राजनीति” में सफल होगा?यह कहना कुछ जल्दबाजी होगा।जिला प्रशासन ने अगर सत्य प्रकाश सिंह को आज रिहा नहीं कराया होता तो वे जेल में सिसकते और उनकी बहन सजल नेत्रों से चार जून को सात फेरे लेती।इसके बाद आगे यह मामला कहाँ तक जाता।शायद,इसकी परिकल्पना नहीं की जा सकती थी।