- नई दिल्ली, : पूरा देश खासतौर से उत्तर भारत में करवा चौथ को लेकर महिलाओं में जबरदस्त उत्साह है। पतियों की दीर्घ आयु के लिए व्रत की तैयारियों में जुटी महिलाएं साज श्रंगृार का सामान लेने के लिए कास्मेटिक की दुकानों से लेकर पटरी दुकानदारों से खरीदारी कर रही है। मेंहदी के स्टॉलों पर जबरदस्त भीड़ है। मुंंहमांगी कीमत में मेंहदी लगवा रही है लेकिन दिल्ली से मात्र 140 किमी दूर मथुरा जिले के सुरीर कस्बे के एक मोहल्ले में करवा चौथ की धूम और रंगत गायब है। महिलाओं में व्रत को लेकर भ्रम व खौफ है। जिसके चलते इस मोहल्ले में करवा चौथ का व्रत न रखने की पंरपंरा कई बरसों से चली आ रही है। यह भ्र्रम सैकड़ो साल पहले एक नवविवाहिता के श्राप के बाद करवा चौथ पर हुई मौतों से जुड़ा हुआ है।
मथुरा जिले के मांट तहसील का कस्बा है सुरीर। जिसमें बघा मोहल्ला है। इस मोहल्ले के बुजुर्ग महिलाओं के मुताबिक वह करवा चौथ न व्रत नहीं रखती है और न अपनी बहुओं को रखने देती है और न ही इस दिन पूरा श्रृंगार (सोलह श्रृंगार)करने देती है। इसके पीछे एक किवदंती है। बघा मोहल्ले के बुजर्ग के मुताबिक सैकड़ो साल पहले गांव राम नगला वर्तमान में नौहझील क्षेत्र (बाजना कस्बे के पास का गांव) का एक ब्राह्रमण युवक करवा चौथ के दिन अपनी पत्नी को सुरीर कस्बे के पैठ बाजार में चूड़ी पहनाने के लिए भैसा बुज्गी से आया था। जब वह चूडिय़ां पहना कर वापस अपने उस भैसे को देख कर सुरीर के बघा मोहल्ले से गुजरा तो ठाकुर समाज के लोगों ने उसे अपना भैसा बताते हुए युवक पर चोरी का इल्जाम लगा दिया और विवाद हो गया। विवाद में पिटाई से में ब्राह्रमण युवक की मौत हो गई। पति की मौत के बाद उस नवविवाहिता ने उस मोहल्ले के लोगों को श्राप दिया कि जो भी महिला करवा चौथ का व्रत रखेगी उसकी तरह ही विधवा हो जायेगी और इसके बाद वहीं अपने पति की चिता के साथ सती हो गई।